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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ। धन्य हो गए -महेन्द्र सी.कब्दी. भीमावरम पू. गुरुभगवंतों के दर्शनों की इच्छा सदैव बनी रहती है। जब यह इच्छा तीव्र हो जाती है तो जहां गुरुदेव बिराजमान होते हैं, वहाँ पहुँचकर दर्शन/वंदन कर अपनी इच्छा पूरी करते। कभी यह सोचा भी नहीं था कि दक्षिण भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में गुरुदेव राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्यप्रवर श्रीमदविजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. अपनी आयु के इस पड़ाव पर पधारकर मुझ जैसे दर्शन पिपासुओं की प्यास बुझा देंगे। आज पूज्य गुरुदेव की इस क्षेत्र में उपस्थिति से हमारी प्रसन्नता असीम है। पूज्य गुरुदेव का सान्निध्य पाकर हमारा रोम-रोम पुलकित है। मुझे जब यह जानकारी मिली कि पूज्य गुरुदेव के जन्म अमृतमहोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर उनके सम्मानार्थ एक अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन हो रहा है तो यह प्रसन्नता द्विगुणित हो गई। मैं पूज्य गुरुदेव सुस्वस्थ सुदीर्घ जीवन की कामना करते हुए उनके चरणों में वंदना करता हूँ। वन्दन है उनको -गटमल पालरेचा, राजमहेन्द्री संत, मुनि अथवा आचार्य तो सब हैं। सबकी अपनी-अपनी विशेषता हैं किंतु सरलता एवं सहजता जितनी राष्ट्रसंत शिरोमणि आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. में देखने को मिलती है, उतनी शायद ही किसी में हो। उनकी दीर्घायु एवं दीर्घ संयम पर्याय को देखते हुए उनके पावन श्री चरणों में अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित कर समर्पित करना, एक स्तुत्य प्रयास की सफलता के लिये हृदय से शुभकामना अभिव्यक्त करता हूँ। इस अवसर पर मैं प.पू. आचार्यश्री केसुस्वस्थ सुदीर्घ जीवन की शुभकामना करते हुए उन्हें सादर वन्दन करता Price उनकी सादगी अनुपम है -नेमीचंद भण्डारी, हैदराबाद आज कल धर्म के क्षेत्र में भी बाह्याडम्बर बहुत देखने को मिल रहा है किंतु जो सच्चे साधक हैं और अपनी आत्मा का कल्याण चाहते हैं, वे इस प्रकार के आडम्बरों, तड़क-भड़क, शान-शौकत से दूर ही रहते हैं। परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ऐसे की एक विरल संतरत्न हैं जो बायाडम्बरों से सर्वथा मुक्त हैं। परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणिजी म. की सादगी और सरलता अनुपम है, जो अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती है। मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणिजी म. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर अभिनन्दन ग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है। इस अवसर पर मैं उनके श्रीचरणों में अपनी ओर से कोटि-कोटि वंदन प्रस्तुत करते हुए उनके दीर्घ सुस्वस्थ्य जीवन की हार्दिक मंगल कामना करता मन अभिभूत है -कांतिलाल कोठारी, कार्यम्बटूर जब यह समाचार मिला कि मेरे आराध्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के उपलक्ष्य में एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन हो रहा है तो मन अभिभूत हो गया। सत्य तो यह हे कि ऐसी महान विभूति का अभिनन्दन कर हम स्वयं ही गौरवान्वित हो हेमेन्द्र ज्योति* हेगेन्द्र ज्योति 60 हेगेन्द्र ज्योति* हेगेन्द्र ज्योति PoEdushanternal
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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