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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ 4 निर्मल स्वभावी -चांदमल लूणिया प. पू. आचार्य भगवन्त के बारे में जितना लिखा जावे या कहा जावे बहुत ही कम होगा । प.पू. आचार्य भगवन्त के दर्शन लाभ वर्षों के पूर्व के हैं । मुनि भगवन्त के रूप में व आज के समय में भी किसी प्रकार का अहम देखने व व्यवहार में परिवर्तन नहीं हुआ । वही हंस मुख भोलापन अपनी जगह पर है । कोई भी श्रावक, श्राविका आवे सबको एक समान धर्म लाभ देते हैं । चाहे जितना बडा व्यक्ति हो या मुझ जैसा छोटा हो सबके साथ एक समान वार्तालाप करते हैं । कोई किसी से भी गुप्त (अलग कमरे में) का नाम नहीं । सबके साथ खुला व्यवहार है । चाहे विशेष भक्त जैन अथवा जैनेतर हो भोले स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं । नेत्रों की कमजोरी होते हुवे भी आवाज से ही परिचित को पहिचान जाते हैं । स्मरण शक्ति भी यथावत है । दया करना, वात्सल्यता, प्रेमरूपी सुधा से भरा हुआ जीवन है । हृदय में निश्छल वाणी मधुर व्यवहार में सज्जनता झलकती है अमृत वाणी से उनकी महिमा गरिमा सर्वत्र फैली है । संसार असार है । गुणी भगवन्त के सामने कोई झंजावात, कठिनाई आई हो उसे शांति पूर्वक विनम्रता के साथ समाधान किया है। आपने पद की कभी आशा नहीं की, परन्तु स्नेह व आग्रह के साथ आचार्य पद स्वीकारा है । पद की गरिमा कायम रखे हुवे हैं । आपकी निश्रा में बड़े बड़े मंदिरों की प्रतिष्ठा अंजनशलाका दीक्षायें हुई । परन्तु कभी भी अपने खुद के चेले सेवा हेतु की घोषणा नहीं की । अभी अभी कुछ वर्ष पूर्व भक्तों के अति आग्रह को देखते हुए स्वीकारा है। ऐसे भोले स्वभावी आचार्य भगवन्त के लिये वीर प्रभु से यही प्रार्थना है कि वे दीर्घायु हो । शुभकामना -मांगीलाल टी. जैन मुझे ज्ञात हुआ कि राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति तपस्वीरत्न श्रीमदविजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के उपलक्ष में अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित होने जा रहा है । यह शुभ कार्य, आचार्य भक्ति प्रशंसनीय अनुमोदनीय है । यह ग्रंथ जैन जैनेतर एवं मानव मात्र के लिये ज्ञानवर्धक हो । पू. आचार्यदेव दीर्घ संयमी शासन प्रभावक, भव्य जीवों को आत्म उद्धारक एवं पशु-पक्षियों के कल्याणकारी हो । यही मेरी शुभ कामना है । शुभ भावना के साथ आ. प्र. जीव रक्षा संघ, गुंटूर - उपाध्यक्ष श्री राजेन्द्रसूरि जैन सेवा समिति, गुंटूर 4 जुग जुग जीवो -दिलीपकुमार प्रेमचन्दजी वेदमुथा, रेवतडा (चेन्नै) कलिकाल कल्पतरु चर्तुविध सिरताज प्रातःस्मरणीय अभिधान राजेन्द्र कोश के रचयिता विश्व पूज्य प्रभु श्रीमदविजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के प्रशिष्य सरल स्वभावी शान्त हृदयी राष्ट्रसंत शिरोमणि वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के जब भी दर्शन करते हैं तो सदा आपके चेहरे पर प्रसन्नता झलकती है । जब भी कुछ समय साथ बैठकर धर्म चर्चा होती है, तो कई पुरानी बातें तो कई महापुरुषों के जीवन हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति 56 हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति al Education Internal aineliti
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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