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________________ विजय वल्लभ स्मारक दिल्ली में गुरुभक्तों की असीम छटा दिनांक 20.02.2004 प्रातः 10:15 बजे विजय वल्लभ स्मारक दिल्ली में रथयात्रा का आगमन होने पर मुख्य द्वार पर श्रमण मण्डल एवम् वरिष्ठ पदाधिकारियों की अगुवाई में बैंड बाजों के साथ स्वागत किया गया। प्रधान जी एवम् गणमान्य व्यक्तियों द्वारा गुरु प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। 11.00 बजे विशाल धर्मसभा का आयोजन विद्यालय के प्रांगण में किया गया। पन्यास प्रवर श्री अरुण विजय जी महाराज द्वारा मंगलाचरण, श्री राज कुमार जैन प्रधान विजय वल्लभ स्मारक ट्रस्ट द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने अपने विविध कार्यक्रमों द्वारा गुरुभक्ति की असीम छटा बिखेरी। श्री राजकुमार जी ने गुरुवर को भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित की। पन्यास श्री अरुण विजय जी, मुनिप्रवर श्री इन्द्रजीत विजय जी द्वारा धर्मसभा को उद्बोधन दिया गया। विद्यालय के ट्रस्टीगण, स्टाफ तथा विद्यार्थियों द्वारा गुरुदेव को पुष्पांजलि अर्पित की गई दिल्ली के सभी श्रीसंघ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए, धर्मसभा का कार्यक्रम अत्यंत सुन्दर रहा। विजय वल्लभ स्मारक में विजय वल्लभ रथ यात्रा के आगमन के ऐतिहासिक अवसर पर गुरुभक्ति के शब्द गुरुभक्तों के कानों में गूंज रहे थे "जैन जाति का वल्लभ एक स्तंभ था, इस युग का वल्लभ महासंत था। वह था कोई अवतारी, जिसने मानव देह धारी, वह तो भक्तों का दुलारा भगवान था। गिरती कौम का सहारा, आत्म का था शिष्य प्यारा, जैन शासन का अनोखा अभिमान था ज्ञान ज्योति को जलाना, अज्ञान तिमिर हटाना, उसके जीवन का यह सबसे बड़ा काम था।" 96 विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका Earrivate PULORILISED cution n
SR No.012061
Book TitleVijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadanta Jain, Others
PublisherAkhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size51 MB
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