SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यमुनानगर में रथयात्रा की भावभीनी अगवानी दिनांक 16.02.2004 सायं 4 बजे यमुनानगर (हरियाणा) में विजय वल्लभ रथ यात्रा की श्री शान्तिनाथ जैन श्वेताम्बर मन्दिर पर बैंड-बाजे के साथ भावभीनी अगवानी की गई। श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के मात्र 6/7 घर होने के बावजूद काफी अच्छी रौनक हो गई। मन्दिरवासी एवम् स्थानकवासी भाई-बहनों ने कन्धे से कन्धा मिलाकर अपने प्यारे पंजाब केसरी गुरु वल्लभ की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। लोगों में बहुत उत्साह था। श्री मन्दिर जी में कीर्तन का भी कार्यक्रम आयोजित किया गया। पानीपत में महाराजाओं के सरताज का हाथी घोड़े के साथ अभूतपूर्व स्वागत दिनांक 16.02.2004 सायं 7 बजे विजय वल्लभ रथ पानीपत के SkyLark Hotel के आगे पहुंचा। मन्दिरवासी, स्थानकवासी एवं दिगम्बर सम्प्रदाय के अपार जनसमूह ने बैंड-बाजे के साथ रथ का स्वागत किया। गुरु प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। प्रधान श्री सुबोध कुमार जैन की अगुवाई में हाथी, 5 घोड़े, 2 पालकियां, 31 सदस्यों वाले बैंड तथा स्कूल के छात्र-छात्राओं के साथ शोभा अत्यंत धूमधाम से निकाली गई। पश्चात् 7-8 गाड़ियों के साथ गांधी गेट तक गुरुभक्तों के मुखारबिन्द से भाव पूर्ण शब्द-लहरियां गूंज रही थी। ऐ गुरुवर आओ एक बार, तेरे भक्तों की है यह पुकार, आज तेरे बिना, नहीं कोई यहां, उनके जीवन का कोई आधार। 10 "वल्लभ नहीं था आदमी, वह था कोई एक देवता, स्वर्ग से उतरा था, बदलने नक्शा जैन समाज का। 6 दुबला-पतला था, मगर उसमें गज़ब का जोश था, नाड़ी हमारी देखने में, वह बड़ा बाहोश था।" 92 विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012061
Book TitleVijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadanta Jain, Others
PublisherAkhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy