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________________ विश्व चेतना के मनस्वी संत 'विजय वल्लभ' "उठ कलम तैयार हो जा गुरु वल्लभ वन्दन करने के लिए, अर्द्धशताब्दी वर्ष पर अभिनन्दन करने के लिए, कौन कहता 'विजय वल्लभ' सूरीश्वर इन्सान हैं, 'विजय वल्लभ' सूरीश्वर तो सचमुच में भगवान हैं, मानव क्या चंदा सूरज आकाश ने भी है मान लिया। धरती और पाताल ने भी अद्भुत शान्ति को जान लिया। अजब रंग है अजब रूप और अजब इसकी मुस्कान है, पंजाब प्रांत के आज भाग्य की चमक रही फिर शान हैं, दर्शन- वंदन करके बन जाओ पावन, Jain Education International गुरु आत्म गुरु वल्लभ का पावन संदेश है। इस युग का अवतार है, मुझको इस पर मान है”। काल की कठोर अवस्थायें किसी न किसी महान् पुरुष को जन्म देती हैं। भारत में जब चारों ओर विषम परिस्थितियां थीं। आधुनिक काल में राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, राष्ट्रीय इन सभी क्षेत्रों में परिवर्तन एवं उन्नति के पथ की ओर अग्रसर करने में युगवीर जैनाचार्य वल्लभ सूरि जी महाराज का नाम सुप्रसिद्ध है। पंजाब देशोद्धारक इस नाम से सुप्रसिद्ध आचार्य वल्लभ सूरि ने सिर्फ पंजाब में ही नहीं अपितु राजस्थान-गुजरात-सौराष्ट्र महाराष्ट्र आदि प्रान्तों में भी समाज सुधारक कार्य करने में अनेक प्रयास किये। समाज में भीतर ही भीतर उच्च वर्ग और मध्यम वर्ग के बीच में एक जबरदस्त संघर्ष चल रहा था, एक ओर से आतंकवाद - उग्रवाद और दूसरी ओर से धनवान समाज के अत्याचार - इसके बीच दीन-दुःखी जनता पिसी जा रही थी । इन्हीं परिस्थितियों के बीच भैया दूज को चमकने वाले हीरे ने बड़ौदा में 1927 में जन्म लिया। माता की मृत्यु ने गुरु वल्लभ के जीवन को एक नया मोड़ दिया। 1944 में राधनपुर में दीक्षा प्रदान की गयी। आप में सर्वोत्तम सद्गुण थे, जिससे समाज के कर्णधार प्रभावित हुए और 1981 में लाहौर में आपश्री आचार्य पद से विभूषित हुए। समाज की जनता को युगानुरूप संदेश दिया। उनकी वाणी युग की वाणी थी। प. पू. साध्वी कमलप्रभा श्री जी महाराज की सुशिष्या साध्वी रक्षितप्रज्ञा श्री जी "गुरुवर तुम्हारे चरणों में, दुनिया क्यों दौड़ी आती है ? कुछ बात अनोखी है आप में, जो औरों में नहीं पाती है।।" आपके ललाट पर दिव्य तेज था, आँखों में अपूर्व आभा थी, हृदय में अनुपम आत्म शान्ति थी, आपकी वाणी में युग की वाणी बोलती थी, आपके चिन्तन में युग का चिंतन था। संपूर्ण भारत वर्ष आपका विशाल कार्यक्षेत्र था। समाज की जनता को युगानुरूप संदेश दिया। युगदृष्य, युग प्रवर्त्तक महान क्रान्तिकारी-पंजाब रक्षक युगवीर गुरु वल्लभ ने जिनागम, जिनमंदिर, जिनमूर्ति, साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका आदि को अत्यधिक महत्व दिया। यदि श्रावक-श्राविका शिक्षित एवं सुखी होंगे तो इन सातों क्षेत्रों का उद्धार होगा। भगवान महावीर के शासन में अनेक आचार्य हुए। कई आचार्य भगवंतों ने आगमों का उद्धार किया, कई आचार्य भगवंतों ने तीर्थोद्धार करवाया, विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका For Private & Personal Use Only 41 www.jainelibrary.org
SR No.012061
Book TitleVijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadanta Jain, Others
PublisherAkhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size51 MB
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