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________________ श्रमणवृंद को काम्बलियां भेट स्वरूप भेजी गई है और प्रत्येक श्रमणी श्री जी को आधा किलो ऊन भेंट स्वरूप भेजी गई है। चौमासे की समाप्ति पर सभी स्थानीय श्रीसंघ अपने-अपने क्षेत्र में विराजमान श्रमण एवं श्रमणीवंद को यह भेंट प्रदान करेंगे। इसके उपरान्त श्री रघुवीर कुमार जी ने गुरुचरणों में संक्रान्ति भजन से पूर्व एक भजन प्रस्तुत किया जिसके बोल इस प्रकार थे : “सुना है गुरु जी बीकानेर जा रहे है। खता क्या हुई छोड़कर जा रहे हो....." संक्रान्ति भजन 'श्री वल्लभ गरु जी के चरणों में मैं नित उठ शीश नवाता हूं, मेरे मन की कली खिल जाती है'...... रघुवीर जी द्वारा गाया गया। प्रातः-दोपहर-सायं के प्रीतिभोज के लाभार्थी परिवार श्री बाबू राम मोती लाल इसके पश्चात् प.पू. गच्छाधिपति श्री जी द्वारा प्रवचन दिया गया। विमल प्रकाश जैन सराफ परिवार अम्बाला का बहुमान उन्होंने अपने प्रवचन में कहा "मैं यहां देने के लिए आया हूं लेने वाला चाहिए" अगर हम विचारों की विभिन्नता में रह जाएंगे तो समय हमारी राह नहीं देखेगा। म.सा. ने कहा “दुनिया झुकती है झुकाने वाला चाहिए" अगर कोई सही मार्गदर्शन करने वाला हो, भक्तजन अपने आप पधार जाते हैं। अन्त में गुरुदेव ने कहा कि इस अर्द्धशताब्दी स्वर्गारोहण वर्ष में जिन-जिन भाई-बहिनों ने सहयोग दिया है उन सभी का अभ्युदय हो, अभ्युदय हो, अभ्युदय हो।" संक्रान्ति नाम प्रकाश करने के पश्चात् प.पू. गच्छाधिपति जी ने पुरुषों को और मुनि श्री लक्ष्मी रत्न विजय जी ने महिलाओं को सर्वकार्य सिद्ध मांगलिक वासक्षेप प्रदान किया। संक्रान्ति नाम प्रकाश पश्चात् गुरुदेव द्वारा वासक्षेप-प्रक्षेपण इस प्रकार श्रीमद् विजय वल्लभ स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी वर्ष का त्रिदिवसीय समापन समारोह दिनांक 15-16-17 अक्तूबर को प.पू. गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नाकर सूरीश्वर जी म.सा. की शुभ सद्प्रेरणा एवं पावन व तारक निश्रा में अम्बाला शहर के एस.ए. जैन सी. सै. स्कूल में बड़े हर्षोल्लास पूर्वक सम्पन्न हुआ। 18 हजार फुट तक फैले पण्डाल से बाहर तक बैठे हुए देश-विदेश से पधारे हजारों गुरुभक्तों ने समारोह का आनंद लेते हुए गुरु भक्ति में अपनी आस्था को प्रकट किया। भोजन की व्यवस्था इतनी सुचारू रूप से चली कि लगभग दो घंटे में सभी ने भोजन ग्रहण कर लिया। आवास व्यवस्था इतनी सुन्दर थी कि किसी भी गुरुभक्त को कोई असुविधा महसूस नहीं हुई। यह सब परम उपकारी गुरुदेव के आशीर्वाद का ही परिणाम था। मुनि श्री लक्ष्मी रत्न विजय जी द्वारा महिलाओं को वासक्षेप-प्रक्षेपण तत्पश्चात् महामंत्री श्री आनन्द कुमार जैन ने समारोह में पधारे | सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया। समारोह में आवास व्यवस्था के सफल संचालन हेतु श्री आत्म-वल्लभ जैन युवक मण्डल, अम्बाला शहर तथा भोजन व्यवस्था में भोजन कमेटी, युवक मण्डल, वल्लभ सेना, महिला मण्डल, श्राविका संघ तथा जैन मिलन के सदस्यों के सहयोग व प्रबन्ध का धन्यवाद किया गया। इस सारे समारोह के आयोजन में सामूहिक रूप से अखिल भारतीय विजय वल्लभ स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी महोत्सव महासमिति के साथ-साथ श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ अम्बाला शहर के कार्यकारी सदस्यों एवं इनके सहयोगी मण्डलों तथा संस्थाओं का अमूल्य सहयोग प्राप्त रहा। आज के समारोह के मुख्य अतिथि श्री वी.सी. जैन भाभू ने आयोजन की सफलता के लिए इन सभी संस्थाओं का सम्मान सहित आभार प्रकट किया। 1501 249 विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका of Private & Personal use only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.012061
Book TitleVijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadanta Jain, Others
PublisherAkhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size51 MB
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