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________________ गुरुवर विजय वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज द्वारा लिखित रचनाओं (स्तवन एंव सज्झाएँ) का संग्रह | वल्लभकाव्यसुधा के द्वितीय संस्करण का विजय वल्लभ अर्द्धशताब्दी स्वर्गारोहण वर्ष में मुद्रित वल्लभ काव्य सुधा रचयिता पंजाब केसरी अनाचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सुरीश्वर जी महाराज श्री आत्म वल्लभ जैन श्राविका संघ वल्लभ नगर, शिवपुरी रोड, लुधियाना के आर्थिक सहयोग से प्रकाशन किया गया। यह श्राविका संघ पिछले 32 वर्षो से धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजनों में बढ़-चढ़ कर सक्रिय रुप से भाग ले रहा है, श्री आत्मवल्लभ-समुद्र-इन्द्र पाट परम्परा के वर्तमान पट्टधर कोंकण देश दीपक गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नाकर सूरीश्वर जी महाराज की सद्प्रेरणा से पंजाब केसरी जैनाचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज के स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी वर्ष में इस पुस्तक का प्रकाशन करवा कर गुरु चरणों में पुष्पांजलि अर्पित की है। प्रकाशक : विजय वल्लभ अर्द्धशताब्दी स्वर्गारोहण महासमिति मुख्य कार्यालय : लुधियाना विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका 141 Jain Education International PreparatoParsonaloseronly www.jainelibrary.org
SR No.012061
Book TitleVijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadanta Jain, Others
PublisherAkhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size51 MB
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