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________________ दर्शन दिग्दर्शन स्वास्थ्य के मन्त्रदाता भगवान महावीर - गणाधिपति तुलसी उत्क्रान्ति की एक लहर, ज्योति की एक निर्धूम शिखा, साहस का अनाम दरिया, सत्य का महान अन्वेषी, पारसधर्मी व्यक्तित्व, कालजयी कर्तृत्व, संस्कृति का संभ्रान्त सौन्दर्य और न जाने किन-किन घटक तत्त्वों से निर्मित है महावीर का जीवन। उनके संवादों में शाश्वत की आहट थी। उनकी अभिव्यक्ति इतनी प्रभावी थी कि उन्हें एक बार सुनने वाला बंध जाता। उनकी दृष्टि में ऐसी कशिस थी कि उन्हें एक बार देखने वाला भूल ही नहीं पाता। उनके आह्वान में ऐसा आमन्त्रण था कि उसे अनसुना नहीं किया जा सकता। उनका मार्गदर्शन इतना सही था कि उसे पाने वाला कभी भटक ही नहीं पाता । उनकी सन्निधि इतनी प्रेरक थी कि व्यक्ति रूपान्तरित हो जाता। उन्होंने कहा - 'अप्पणा सच्च मेसेज्जा'स्वयं सत्य खोजें। वे किसी को पराई बैशाखियों के सहारे नहीं चलाते थे। अपने पैरों से चलने की क्षमता हो तो व्यक्ति कभी चल सकता है और कहीं पहुंच जाता है। उन्होंने किसी के रास्ते रोशन नहीं किए, पर भीतर की रोशनी पैदा कर दी। ये ही सब कारण हैं जो हमें महावीर का स्मरण दिलाते हैं। स्वास्थ्य का पहला बोध पाठ ___महावीर का विश्वास स्वस्थ जीवन में था। वे अपने आप में रहते थे। दूसरों को भी अपने आप में रहना सिखाते थे। वे स्वस्थ थे। उन्हें कोई बीमारी पराभूत नहीं कर पाई। उन्होंने स्वास्थ्य के अनेक सूत्र दिये। उनमें एक सूत्र था 'कायोत्सर्ग'। कायोत्सर्ग का अर्थ है शरीर का व्युत्सर्ग, शरीर की सार संभाल का अभाव, शरीर के प्रति ममत्व का विसर्जन और भेद विज्ञान की चेतना का विकास। कायोत्सर्ग साधना का आदि बिन्दु भी है और अन्तिम बिन्दु भी है। यह स्वास्थ्य का प्रथम बोध पाठ है और अन्तिम निष्पत्ति है। यह तनाव विसर्जन का प्रयोग है और सब दुःखों से मुक्त करने वाला है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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