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________________ अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने चौमासे के बाद भी अपना समय कई महीनों तक समाज के हित में लगाया। उनकी समाज सेवा सदा अविस्मरणीय रहेगी। उस समय श्रीमान आदरणीय मोहनलालजी बांठिया हमारे समाज की प्रमुख संस्था श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष थे। ऐसी घोर विपदा तेरापंथ धर्मसंघ पर आई तब धर्मसंघ के प्रमुख श्रावक प्रायः पूरे भारतवर्ष से रायपुर पधारे थे । श्रीमान मोहनलालजी बांठिया का भी रायपुर पधारना स्वाभाविक ही था । उन्होंने रायपुर पधारकर तेरापंथ धर्मसंघ की अमूल्य सेवा की, इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता, साथ ही उन्होंने रायपुर में चार महीनों के लिए अपने घर का कामकाज छोड़ तेरापंथ धर्मसंघ के प्रति समर्पित होकर अमूल्य सेवाएं दीं। रायपुर में शंकराचार्यजी पुरी के और करपात्रीजी भी विरोध प्रदर्शित करने हेतु आये थे सो इन धर्मनेताओं से भी बांठियाजी ने बातचीत की और सही बात उनके सामने रक्खी। अपनी बात मनवाने में ही वे लोग पूरी शक्ति लगाये रहे । कतिपय साम्प्रदायिक उन्मादियों ने स्थानीय छात्रों व असामाजिक तत्वों को उकसाया, जिसके फलस्वरूप मध्य प्रदेश शासन को 'अग्नि परीक्षा' पुस्तक जब्त करने का निर्णय लेना पड़ा। इस निर्णय के विरुद्ध म. प्र. उच्च न्यायालय, जबलपुर में तेरापंथी महासभा को अपील करनी पड़ी। इस अपील की पैरवी हेतु स्व. बांठियाजी आदि समाज के व्यक्तियों ने अथक परिश्रम किया। महासभा की और से देश के सुप्रसिद्ध अधिवक्ता श्री अशोक सेन को पैरवी के लिए नियुक्त किया गया और अन्त में कानूनी लड़ाई में धर्मसंघ की ही विजय हुई | इसके अलावा विरोधियों ने आचार्य तुलसी पर फौजदारी के कई मुकदमें इस पुस्तक के सम्बन्ध में दायर किये, परन्तु इस विरोध के समय भी स्व. बांठियाजी ने म. प्र. उच्च न्यायालय रायपुर से मांडला स्थानान्तरण कराने का आदेश प्राप्त कर लिया और अन्त में मांडला में विरोधी पक्ष के कोर्ट में उपस्थित नहीं होने के कारण मामला अपने आप निरस्त हो गया । रायपुर मे विरोधी पक्ष ने स्कूलों एवं महाविद्यालय के छात्रों और अनेक असामाजिक तत्वों को उकसाया जिसकी वजह से स्थानीय तेरापंथी समाज के घरों पर अनेक बार पथराव हुए और विरोधी लोग स्थानीय तेरापंथी कार्यकर्ताओं से जबरदस्ती उलझने की कोशिश करने लगे, स्थानीय पुलिस प्रशासन ने तेरापंथ समाज के कई कार्यकर्ताओं के विरुद्ध फौजदारी कानून के अन्तर्गत कई घारा लगाकर मामला अदालत में Jain Education International 2010_03 स्मृति का शतदल १११ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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