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________________ श्रद्धा सुमन स्पष्ट वक्ता - रतन कुमार गधईया मद्रास स्व. श्री बांठियाजी बहुत स्पष्ट वक्ता थे। कार्यशील व्यक्ति थे। वे हमेशा कुछ न कुछ कार्य में लगे रहते थे। चाहे लेखन का कार्य हो या सामाजिक कार्य, वे हमेशा अपने को व्यस्त रखते थे। तेरापंथी महासभा और तेरापंथी धर्मसंघ को प्रदत्त उनकी सेवाएं अमूल्य हैं। उनके कार्य में निष्ठा रहती थी। वे अपने सिद्धान्त के अडिग थे - जो उचित तथा न्यायमय होता वही उन्हें मान्य था। वे मेरे स्व . पिताजी श्री नेमचन्दजी गधईया के अनन्य मित्र थे। दोनों ने साथ-साथ महासभा का कार्य किया। उसी दौरान मैं श्री बांठियाजी के सम्पर्क में आया उनकी बात कभी कभी कड़वी होती थी, लेकिन सच्चाई लिये होती थी। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था। कई बार उन्हें आक्सीजन लेने की जरूरत भी पड़ती थी। फिर भी वे कार्य में लगे रहते थे। कार्य ही उनका गुण था। रायपुर अग्नि परीक्षा काण्ड के समय उन्होंने बड़ी दक्षता दिखाई थी। उस समय वे तथा मेरे पिताजी रायपुर तथा जबलपुर कई दिन रहे। 'अग्नि परीक्षा' पुस्तक पर से सरकारी प्रतिबन्ध हटवाने की कानूनी लड़ाई बड़ी दक्षता से लड़ सफलता पाई थी। __ अनेकों संस्थाओं से वे सम्बन्धित थे। पदाधिकारी थे। सभी जगह वे सम्मान की दृष्टि से देखे जाते थे। उनसे युवक वृद्ध सभी प्रभावित थे। वे अच्छे लेखक, सम्पादक तथा विवेचनाकार थे। उनके द्वारा सम्पादित 'लेश्या कोष', क्रिया कोष, वर्द्धमान जीवन कोष जो कई भागों में प्रकाशित हुई है, काफी खोजपूर्ण कृतियां हैं। 'पुदगल एक अध्ययन' बहुत ज्ञानवर्द्धक पुस्तक है। ऐसे प्रतिभावान व्यक्ति के कार्यों तथा जीवन पर आधारित स्मृति ग्रंथ प्रकाशित होना स्वागत योग्य है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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