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________________ आचारांग की समीक्षा एवं उन्हें सुधारने की अनिवार्यता तुलनात्मक तालिका आचारांग के मान्य संस्करणों में कुछ शब्दों एवं रूपों के विभिन्न पाठ इस प्रकार मिलते हैं :--- प्रत्येक शब्द के बाद सूत्र-संख्या पू० जम्बू विजयजी के संस्करण की दी गयी है। संस्करण : पू. जम्बू विजयजी शुबिंग महोदय आगमोदय पू. नथमलजी १. इदाणी-३३ इयाणिं इयाणि इयाणि २. जाती-मरण-७ जाइ-मरण जाई-मरण जाई-मरण ३. उववाइए-१ उववाइए उववाइए ओववाइए ४. अधेदिसातो-१ अहेदिसाओ अहोदिसाओ अहे वा दिसाओ ५. वधेति, वहिति-५२ हणन्ति, वहन्ति हणंति, वहंति वहंति ६. चयोवचइयं-४५ चयावचइयं चओवचइयं चयावचइयं ७. पडिसंवेदयति-६ पडिसंवेएइ पडिसंवेदेइ पडिसंवेदेइ ८. लोगावादी-३ लोगावाई लोयावादी लोगावाई अवियाणओ-४९ अविजाणओ अवियाणओ अवियाणओ १०. विजहित्ता-२० वियहित्तु वियहित्ता विजहित्तु ११. णातं भवति-१ नायं भवइ णायं भवइ णातं भवति १२. परितावेंति-५० परियाति परिताति परिताति १३. पमादेणं-३३ पमाएणं पमाएणं पमाएणं १४. सदा-३३ सया सया सया १५. सता-३३ सया सया सया १६. जतेहिं-३३ जएहि जत्तेहि जतेहिं १७. निरए-३ नरए णरए णरए १८. णियाग-१९ नियाय णियाग १९. णो सण्णा -१ नो सन्ना णो सण्णा नो सण्णा २०. पभू-५६ पहू २१. अहिताए-१३ अहियाए अहिआए अहियाए २२. परिणा-१३ परिन्ना परिण्णा परिणा २३. अणितियं-४५ अनिच्चयं अणिच्चयं अणिच्चयं २४. चते-१ चुए चुओ २५. समारंभमाणो-१२ समारभमाणे समारंभेमाणा समारंभेमाणे २६. जीवा अणेगा-२६ जीवा अणगा जीवा अणेगे जीवा अणेगा २७ समुट्ठाए-१४ समुट्ठाए समुट्ठाय समुट्ठाए २८. अणुपालिया-२० अणुपालिया अणुपालिज्जा अणुपालिया काराविस्सं-४ कारावेस्सं कारवेसुं कारवेसं ३०. अकरिस्सं-४ करिस्सं अकरिस्सं अकरिस्सं ३१. अबोधीए-२४ अबोहीए अबोहीए अबोहीए नियाग पह चुओ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012051
Book TitleParshvanath Vidyapith Swarna Jayanti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Ashok Kumar Singh
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1994
Total Pages402
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size23 MB
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