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________________ श्री. बनारसीदास जैन देशाई. पारा ८४७ ) [ इस दोनों ग्रन्थ बहुत मिलते हैं । देखो हमारा ग्रन्थ · जैन गूर्जर कविओ' प्रथम भाग पृ. ३४३, ३५५.--संपादक. ] (ग) मुनिपतिनी चौपाई-अंबाला शहर भंडार-नं० २६३ । यह ग्रन्थ खरतरगच्छीय दयाकुशल शिष्य मुनि धर्ममन्दिर का बनाया हुआ है। रचनाकाल-संवत सतरै पचवीसै रै, पाटण माहै परगडो श्री वाडी पास विराजै रै। मोहनलाल देशाई ने केवल बिवदंणिकगच्छीय देवगुप्त सूरि शिष्य सिंहकुल (सं. १५५०) कृत मुनिपति राजर्षि चौपाई का उल्लेख किया है ( ह ७७५ )। [ इस ग्रन्थ भी बहुत उपलब्ध है-देखो मेरा · जैन गूर्जर कविओ' द्वितीय भाग पृ. २३४-६. ऐसा मालूम होता है कि लेखक ने इस मेरा दोनों ग्रन्थ देखा नहि है । मेरा — जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास ' में भाषा कविओं की कृतियां उल्लेखित की गई नहिं हैं.-संपादक. ] (६) अन्यत्र अनुपलब्ध हिंदी ग्रन्थ( क ) मेघऋषिकृत दान शील तप भावना चरित-जीरा भंडार-नं० ६८८ । मेघऋषि पंजाब देश में हिंदी के अच्छे कवि हो गए है । ये यति थे और इनका उपाश्रय फगवाड़ा नगर (जिला, जालन्धर) में था। इनकी गुरुपरम्परा इनके मेघमाला (जीराभंडार-नं० ५७०) में इस प्रकार है। जटमल्ल-परमानंद-सदानंद-नारायण-नरोत्तम-मयाराम-मेघराज । दान-शील-तपभावना चरित का लिपिकाल सं० १८१७ है । इस में १२३७ छंद हैं। मेघमाला की रचना भी सं० १८१७ में हुई। हिंदी हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज (रिपोर्ट सन् १९०९-१०-११) में ग्रन्थ नं० १९७ मेघविनोद का उल्लेख है जिस के कर्ता के विषय में केवल इतना लिखा है कि है-' कर्ता मेघमुनि, इन के विषय में और कुछ ज्ञात नहीं।' ( ख ) खरतरगच्छीय सुमत (न?) सुमे रुगणि-शिष्य मुनि मानजीकृत वैद्यक ग्रंथ कविविनोद ( नकोदर भंडार नं० ४४३)। यह ग्रन्थ सं० १७४५ में लाहौर में रचा गयासंवत सत्तर सय समैं पैंताल वैसाष । शुक्लपक्ष पंचम दिनैं सोमवार है भाष ॥९॥ ९ अर्थात् जिनका उल्लेख नागरीप्रचारिणी सभा काशीद्वारा प्रकाशित " हिन्दी के हस्तलिखित ग्रन्थों का विवरण" में नहीं है। शताब्दि ग्रंथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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