SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 300
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री शानदास जैन हो रहा है जिस की सुस्निग्ध छाया सैकड़ों विद्यार्थी विश्राम पाचूके हैं, पारहे हैं और पाते रहेंगे । भगवन् ! हमारी भावनायें सफल हों ! आप ने यह शिक्षा प्रचार का कार्य किसी एक श्रद्धालु भक्त को सिपुर्द नहीं किया परन्तु इस कार्य को स्थायी करने के लिये एक सभा भी स्थापित कराई वह है - श्री आत्मानंद जैन सभा - अंबाला शहर | इस सभा ने आजतक समाजसेवा का जो कार्य किया है, जो संस्थायें स्थापित की हैं उनका किञ्चित् विवरण नीचे दिया जाता है । श्री आत्मानंद जैन सभा - का उद्देश शिक्षाप्रचार और सामाजिक कुरीतियों का निराकरण ही रहा है । और इसके प्रयास से समाज में देवभक्ति, गुरुभक्ति और संघशक्ति की उत्तरोत्तर वृद्धि होती रही है जिस का परिणाम यह है कि आज पंजाब में श्वेतांबर जैन समाज में अंबाला का स्थान मुख्य है । शिक्षाप्रचार के निमित्त जो पाठशाला स्थापित हुई थी उसने कुछ वर्ष अच्छा उपयोगी कार्य किया । तत्पश्चात् स्थानीय आवश्यकताओं के कारण उसे प्राइमरी स्कूल का रूप देदिया गया । आवश्यकतायें बढ़ती गई जिनके कारण सन् १९९८ में इसे लोअर मिडल स्कूल, सन् १९२० में अपर मिडल स्कूल और १९२२ में हाईस्कूल कर दिया गया; परन्तु पंजाब शिक्षा विभाग के हस्ताक्षेप के कारण १९२३ में हाईकी दोनों श्रेणियां बंदकर दी गई और पुनः १९२६ में खोल दी गई । सन् १९१३ में बालिकाओं की शिक्षा के लिये मुनिश्री लब्धिविजयजी ( वर्तमान आचार्य श्रीविजयलब्धिसूरि ) महाराज के चातुर्मास में श्रीआत्मानंद जैन कन्या पाठशाला भी स्थापित करदी गई । श्री आत्मानंद जैन ट्रैक्ट सोसायटी- साधारण जनता में धर्मप्रचार करने के अभिप्राय से सन् १९१५ में यह सोसायटी स्थापित हुई । यह सोसायटी १९३० तक खूब चली। इस ने भिन्न २ धार्मिक तथा सामाजिक विषयों पर १०८१ ) पुस्तकें प्रकाशित की थीं। आत्मानन्द - पंजाब निवासियों की मांग हुई कि समाचार पत्र भी जारी करदिया जावे जिस से समाज के और जैन जगत् के समाचार मिलते रहें । इस कारण से ट्रैक्टों को बंदकर के आत्मानंद मासिक पत्र निकाला गया । अकेली ट्रैक्ट सोसायटी इस बोझ को संभालने के लिये सर्वथा अशक्त थी । श्री आत्मानंद जैन गुरुकुल (पंजाब) गुजरांवाला तथा श्री आत्मानंद जैनमहासभा (पंजाब) अंबालाशहर ने आर्थिक सहायता दी और तीनों के खर्च से यह पत्र चलने लगा; परन्तु दुर्भाग्यवश महासभा तथा गुरुकुल की ओर से आर्थिक सहायता बंद होजाने के कारण अक्तुबर १९३३ में यह पत्र भी बंदकर दिया गया । जो कुछ सेवा इन ट्रैक्टों से या इस पत्र से समाज की हो सकी है वह भी स्तुत्य है । श्री आत्मानंद जैन पब्लिक रीडिंग रूम - सन् १९२१ में कुछ जैन नवयुवकों के प्रयास से यह रीडिंग रूम खोल दिया गया । अच्छे २ दैनिक, साप्ताहिक तथा मासिक शताद्वि ग्रंथ ] १५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy