SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति उपार्जित की है। इस क्षेत्रका वर्तमान युग और इतिहासकी कितनी ही महत्त्वपूर्ण घटनाओंसे घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है जिनसे यहाँकी प्रगतिशीलता एवं मार्गदर्शन क्षमता प्रकट होती है। यद्यपि इस क्षेत्रमें जैनोंकी संख्या पर्याप्त अल्प (०-०४ प्रतिशत) है, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र और सेवाक्षेत्र इतने व्यापक है कि वे समस्त जैन समाज एवं राष्ट्रको प्रभावित करते रहे हैं । रुहेलखण्डकी प्रमुख जन विभूतियोंको अवतरित करने में बिजनौर जिलेका नाम अग्रणी रहेगा । यहाँ जन्मे प्रसिद्ध उद्योगपति साह शान्तिप्रसादजी व श्रेयान्सप्रसादजी, साहू जुगमन्दिरदास, प्रसिद्ध साहित्यिक लाला राजेन्द्र कुमारजी तथा उनके अनुज इन्जीनियर व्यापारी तथा समाजसेवी जगतप्रसादजी एवं प्रसिद्ध देशभक्त बाबू रतनलाल एडवोकेट तथा बाबू नेमीशरणके नाम कभी नहीं भुलाये जा सकते । बिजनौर जनपदने ही अनेक विश्रुत विद्यापतियोंको भी जन्म दिया है । नहटौरमें जन्मे पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्रीको कौन जैन नहीं जानता? वहींके श्री प्रेमचन्द्रजी डिब्र गड़में एक कालेजमें प्राचार्य हैं। किरतपुरके पं० श्रेयांसकुमार शास्त्री भी उनके ही शिष्य हैं। मुरादाबादके पण्डित चुन्नीलाल, मुंशी मुकुन्दलाल, पं० पन्नालाल बाकलीवाल, वैद्य शंकरलाल तथा वैद्य विष्णुकान्तके नाम क्षेत्रीय समाजके अतिरिक्त समस्त जैनसमाजको गौरवान्वित करते हैं। हम यहाँ केवल बिजनौर जिलेकी कुछ विभूतियोंकी ही चर्चा करेंगे। साहू परिवारके सदस्य-बिजनौर जिलेके नजीबाबाद नगरके साहू परिवारके अनेक सदस्योंने जैनसमाजको अनेक रूपोंमें गौरवान्वित किया है। साह जुगमन्दिर दास अपने समयके प्रसिद्ध सुधारक और समाजसेवी रहे हैं। उनकी हाजिर-जवाबी, मेहमान-नवाजी, खशमिजाजी और मिलनसारीकी कोई मिसाल नहीं । साह श्रेयांसप्रसादजी वर्तमानमें बम्बईमें रहते हैं और अपने विविध औद्योगिक कारबारको देखते हुए सम्पूर्ण जैनसमाजके केन्द्रबिन्दु बने हऐ हैं। आपकी सामाजिक गतिविधियाँ देशके कोने-कोने तक फैली हुई हैं । साहू शान्तिप्रसादजी डालमिया उद्योग-समूहके संचालक रहे हैं। वे जैनसमाजके रत्न रहे हैं। एक ओर साहू जैन ट्रस्टकी स्थापनासे उन्होंने शिक्षा और संस्कृतिके प्रसारमें योगदान किया है और साधनहीन छात्रोंको अध्ययनके लिए सहायता की है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने भारतीय ज्ञानपीठके माध्यमसे साहित्यिक जगत्को नयी आशाकिरण प्रस्तुत की। ये दोनों ही संस्थायें उनके ऐसे स्मारक हैं जो जैनधर्म और संस्कृतिकी परम्पराको प्रसारित करने में लगे हए हैं। पच्चीस सौवें महावीर निर्वाणोत्सव वर्षमें उन्होंने जैनसम्प्रदायोंकी एकताके लिए अथक प्रयास किये और उत्सवको सफल बनाया । अबतक आपके माध्यमसे एक करोड़से भी अधिककी राशि छात्रवृत्ति, संस्था-निर्माण, तीर्थ-संरक्षण तथा अन्य सामाजिक, धार्मिक कार्यो के लिए प्रदान की जा चुकी है। ऐसा कहा जाता है कि साहू जी समाजके भामाशाह थे, कल्पवृक्ष थे। वे समाजमें नव-जागरणका विहान फूंकनेवाले प्राणवायु थे। वे जैनसमाजके एक युगका प्रतिनिधित्व करते थे। उनके अधूरे कार्यको अब उनके अग्रज साहू श्रेयांसप्रसादजी देख रहे हैं। दोनों ही साहू बन्धुओं- . का पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्रीसे घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। अनेक प्रकारके शैक्षिक एवं सांस्कृतिक कार्यों में पण्डितजी उनके अप्रतिम सलाहकारके रूपमें रहते हैं। ला० राजेन्द्र कुमारजी तथा जगतप्रसादजीने बिजनौरके वर्द्धमान डिग्री कालेजकी स्थापनामें सहयोग दिया है । साह रमेशचन्द्रजी भी टाइम्स ऑव इण्डिया पत्र-समूहके व्यवस्थापक बनकर अनेक रूपोंमें जैनसमाज और देशकी सेवा कर रहे हैं । पं० कैलाशचन्द्र शास्त्रीके जन्मस्थान नहटौरकी ख्यातिमें भी अनेक महनीय विभूतियोंका योगदान रहा है। रायबहादुर बाबू द्वारकादासजी अपनी इन्जीनियरिंगकी श्लाघनीय सेवाके बावजूद भी सदैव -५९- - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012048
Book TitleKailashchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherKailashchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Rewa MP
Publication Year1980
Total Pages630
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy