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________________ २. शोध विभाग - इस संस्थाका दूसरा महत्त्वपूर्ण विभाग शोध विभाग है । इस विभाग में विभिन्न विश्वविद्यालयोंसे प्राकृत जैन शास्त्र, दर्शन, संस्कृत, प्राचीन इतिहास और संस्कृति, संस्कृत और पालि विषय में स्नातकोत्तर परीक्षा पास छात्रोंको पी-एच०डी० हेतु शोध छात्रके रूपमें प्रवेश दिया जाता है । शोधार्थियोंके लिए यह आवश्यक होता है कि वे प्राकृत जैन भाषा शास्त्र से सम्बन्धित विषय ही अपने शोध प्रबन्धके लिए चुने । शोधार्थियों को संस्थानसे २०० रु० प्रतिमाहकी छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है । यहाँ उन्हें निःशुल्क छात्रावास, प्रकाश और पानीकी व्यवस्था भी उपलब्ध रहती है । इसके अतिरिक्त, शोध प्रबन्धको तैयार करने हेतु एक विशाल पुस्तकालय भी उपलब्ध है । शोध प्रबन्धके अनुमोदित होनेपर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर शोधार्थीको प्राकृत जैन शास्त्रमें पी-एच०डी० की उपाधि प्रदान करता है । प्राकृत जैनोलोजीसे सम्बन्धित विभिन्न विषयोंमें आजतक कुल पचास छात्रोंने पंजीयन कराया है । लेकिन अबतक उन्तीस शोध प्रज्ञोंने ही अपना शोधप्रबन्ध पूरा कर पी-एच०डी० उपाधि प्राप्त की है । इनका विवरण नीचे दिया जा रहा है । X Y * * १. डॉ० जोगेन्द्रचन्द्र सिकदार, स्टडीज इन दि भगवतीसूत्र, १९६९, प्रा०शो०सं०, वंशाली ( प्रकाशित ) २. डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री, हरिभद्रके प्राकृत कथा साहित्यका आलोचनात्मक परिशीलन, १९६१, प्रा० शो० सं०, वैशाली द्वारा प्रकाशित । ३. रिखबचन्द्र : ए क्रिटिकल स्टडी आफ पउमचरियम्, १९६२, प्रा० शो० सं०, वैशाली द्वारा प्रकाशित । ४. डॉ० विद्यानाथ मिश्रा, प्राचीन हिन्दी काव्य में अहिंसाके तत्त्व, १९६३ अप्रकाशित । ५. डॉ० कामेश्वर प्रसाद, दि इकोनोमिक कंडीशन आफ इन्डिया एकोडिंग टू डेट एवेलेविल इन दि पालि केनोनीकल लिटरेचर १९६३ अप्रकाशित । ६. डॉ० देवनारायण शर्मा : पउमचरिउ और रामचरित मानसका तुलनात्मक अध्ययन, १९६३, प्रा० शो० सं० वैशाली (प्रेस में) : ७. डॉ० कृष्णकुमार दीक्षित, इण्डियन लौजिक इट्स प्रोवेलेम्स एज ट्रीटेड बाई इट्स स्कूल्स, १९६४ प्रा० शो० सं० वैशाली द्वारा प्रकाशित । ८. डॉ० राजाराम जैन ए क्रिटिकल स्टडी आफ दि वर्क्स आफ महाकवि रइधू, १९६४, प्रा० शो० सं०, वैगाली द्वारा प्रकाशित । ९. डॉ० नन्दकिशोर प्रसाद ए कम्पेरेटिव स्टडो आफ बुद्धिस्ट (थेरवाद) विनय एण्ड जैन आचार, १९६४, प्रा० शो० सं०, वैशाली द्वारा प्रकाशित । १०. डॉ० किशोरनाथ झा : प्रोवलेम आफ थीजम इन न्याय फिलोसफी विथ स्पेशल रिफेरेन्स टू दि वर्क आफ ज्ञानश्रीमिश्र, १९६५, अप्रकाशित । ११. डॉ० अतुलनाथ सिन्हा, एतेलिटिकल स्टडी आफ दि नेतिप्रकरण, १९६५, अप्रकाशित । १२. डा० नरेन्द्रप्रसाद वर्मा : अपभ्रंशके स्फुट साहित्यिक मुक्तक. १९६५, अप्रकाशित | १३. डॉ० रामकृपाल सिन्हा दि वेकग्राउण्ड आफ गान्धीयन नन-वाइलेन्स एण्ड इट्स इपेक्ट आन इण्डियास नेशनल स्ट्रगल, १९६६, अप्रकाशित । Jain Education International - ४७७ - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012048
Book TitleKailashchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherKailashchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Rewa MP
Publication Year1980
Total Pages630
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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