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________________ उपरोक्त निरूपणसे प्रकट होता है कि जैन आगम एवं दार्शनिक साहित्य में भौतिकी से सम्बन्धित तथ्य भी स्फुटरूपमें पर्याप्त मात्रामें वर्णित हैं। अब तक उनका स्फुट रूपमें ही समीक्षण या विवरण लेखकोंने किया है। इस बातकी महती आवश्यकता है कि विषयवार वर्णनोंका गहन अध्ययन कर संकलन किया जय और तब उनका तुलनात्मक समीक्षण किया जाय । सन्दर्भ-ग्रन्थ और शोध-पत्र १. जैन, नन्दलाल, २. जैन, दुलीचन्द, ३. मुनि नगराज, ४. जवेरी, जे० एस ०, ५. वांटिया, एम० एल०, ६. जैन, जी० आर, ७. सिकदर, जे० सी०, ८. रे, पी०, ९. अमर, गोपीलाल, १०. सिंह, वीरेन्द्र, ११. सिकदर, जे० सी०, १२. पालीवाल, के० एल०, १३. जैन, एन० एल०, १७. जैन, एल० सी०, (१) केमिस्ट्री आफ जैनाज " कीमिया " ११, १९६६ (२) जैन आगमो में रसायन विज्ञान, १-४, जिनवाणी, १९७३ Jain Education International (३) जैन दर्शन में जड़ जगत् की रूपरेखा, महावीर - स्मृति- ग्रन्थ, १९५३ (४) जैन परमाणुवाद, जैन विद्यालय, सीकर- स्मारिका (प्रेस में) (५) केमिकल कन्टेन्ट आव जैन कैनन्स, अनुसन्धान पत्रिका, १९७४ जनदर्शन में पुद्गलद्रव्य और परमाणु - सिद्धान्त, चन्दावाई अभिनन्दन ग्रन्थ, आरा, १९५४ जैनदर्शन और आधुनिक विज्ञान, आत्माराम ऐण्ड सन्स, दिल्ली, १९५९ थ्योरी आव एटम्स इन जैन फिलोसोफी, जैन विश्वभारती, १९७५ जैन पदार्थ विज्ञान में पुद्गल, श्वे० तेरापंथी महासभा, कलकत्ता, १९६१ कोस्मोलोजी, ओल्ड एण्ड नीड, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, १९७५ rator योरी आव जैनाज, इण्डियन जर्नल आव हिस्ट्री आव साइंस, १९७९ हिस्ट्री आव केमिस्ट्री इन एन्सियन्ट एण्ड मेडीवल इण्डिया, पूर्वोक्त, १९६६ चक्षुकी अप्राप्यकारिता, एक मूल्यांकन; वरैया अभिनन्दन ग्रन्थ, काशी, १९५४ द्रव्यविषयक जैन धारणा, जैनधर्म आधुनिक सन्दर्भ में (सं० नरेन्द्र भानावत आदि), जयपुर, १९७५ जैन थ्योरी आव साउंड, रिसर्च जर्नल आव फिलासफी, १९७२ मीमांसा और जैनदर्शन में द्रव्यका स्वरूप, अनुसन्धान - पत्रिका, ५, १९७६ (अ) प्रोपर्टीज आव मैटर इन जैन कैनन्स, इस पुस्तकका विज्ञानखण्ड, १९८० (ब) फिजिकलकन्टेन्ट्स आव जैन कैनन्स, दिवाकर-अभिनन्दन-ग्रन्थ,१९७६ (स) जैन आगमो में भौतिकीके तत्त्व (३), मगध विश्वविद्यालय सेमिनार, बोधगया, १९७५ १४. गेलरा, एम० आर०, १५. मुनि महेन्द्रकुमार द्वितीय, १६. जैन, उत्तमचन्द, (द) फिजिकलकन्टेन्ट्स आव जैन कैनन्स (४), प्रेसमें कन्सेप्ट आव मासलेन्स मैटर इन जैन लिटरेचर, अनुसन्धानपत्रिका, ५, १९७५ जैन परमाणुवाद, दिवाकर अभिनन्दन ग्रन्थ, १९७६ 'जैनदर्शनका तात्त्विक पक्ष : परमाणुवाद', जैनदर्शन और संस्कृतिआधुनिक सन्दर्भ में, लेखांक ४, इन्दौर विश्वविद्यालय, इन्दौर, १९७६ जैन थ्योरी आव आल्टीमेट पार्टीकल्स, वही, लेखांक ५, इन्दौर, १९७६ - ४६८ - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012048
Book TitleKailashchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherKailashchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Rewa MP
Publication Year1980
Total Pages630
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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