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________________ - १३ - जिनवाणीनन्दनका अभिनन्दन विद्यावारिधि डॉ० महेन्द्र सागर प्रचंडिया बुन्देलखण्डकी थाती पं० बालचन्द्र शास्त्री स्वतंत्र व्यक्तित्वके धनी पं० कमलकुमार शास्त्री सादर अभिनन्दन पं० लक्ष्मणप्रसाद जैन, शास्त्री आदर्श विद्वान् श्री नेमिचन्द्र जैन सरस्वतीके अनुरागी पं० जम्बूप्रसाद शास्त्री देश श्रुत और समाजसेवी श्रीमती पुष्पलता 'नाहर' महान् व्यक्तित्वके धनी पं० विजयकुमार जैन, साहित्याचार्य बहुमुखी प्रतिभाके धनी पं० हरिश्चन्द्र शास्त्री जिनवाणीके अपूर्व सेवक पं० जमुनाप्रसाद शास्त्री धर्म, समाज और राष्ट्र-सेवाके संगम डॉ० कस्तूरचन्द्र 'सुमन' शुभकामनाएँ डॉ० श्रीमती रमा जैन, साहित्यरत्न निरभिमान व्यक्तित्व पं० भैया शास्त्री आयर्वेदाचार्य. पं० शान्तिदेवी शास्त्री एवं उनके परिवारके समस्त सदस्यगण मेरी उन्हें शुभ मंगल कामनाएँ पण्डित मुन्नालाल जैन समाजकी नब्जके पारिखी आचार्य जिनेन्द्र अभिवन्दनीय पण्डितजी श्री श्रेयांस जैन शान्तिप्रिय क्रान्तिकारी समाज-सेवक डॉ० नरेन्द्र विद्यार्थी साहित्याचार्य जैनधर्मके प्रकाण्ड विद्वानका सम्मान श्री महेन्द्रकुमार 'मानव' सालेकी भौआके लिए भावाञ्जलि शाह प्रेमचन्द्र जैन कन्या राशिका चमत्कार पं० स्वतन्त्र जैन समाजके मार्गदर्शक श्री लालजी जैन, बी० कॉम एक जागरूक मनीषी पं० खुशालचन्द्र बड़ेराय, शास्त्री बंशीधरो जयतात् श्री अमृतलालो जनः साहित्य-जैनदर्शनाचार्यः सरस्वतीके वरद-पुत्र हे ! बंशीधर व्याकरणाचार्य पं० अनूपचन्द्र न्यायतीर्थ, साहित्यरत्न' सविनय-अभिनन्दन सौ० रत्नप्रभा पटोरिया हे सरस्वतीके वरदपुत्र ! शत-शत वन्दन शत-शत प्रणाम डॉ० कस्तूरचन्द्र 'सुमन' विनय सुमन वैद्य प्रभुदयाल कासलीवाल सरस्वतीके वरदपुत्रका शत शत अभिनन्दन है पं० बाबूलाल जैन फणीश बंशीधरको वंशी गूंज, उठी पं० जीवन्धर जैन . ४७ शब्द-सुमन से अभिनन्दन है हास्य कवि हजारीलाल 'काका' . ....४८ सुमनाञ्जलि देते हैं पं० पूर्णचन्द्र 'सुमन' हे सरस्वती के वरदपुत्र विद्वद्वर तुमको शत प्रणाम पं० विजयकुमार जैन बंशीधरके ही प्रकाश से जिनवाणी है जगमग दमकी श्री हीरालाल जैन युग गाये गुण गान श्री गोकुलचन्द्र 'मधुर' गुरुवर जीवें वर्ष हजार ५० बिहारीलालजी मोदी, शास्त्री ....... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012047
Book TitleBansidhar Pandita Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherBansidhar Pandit Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages656
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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