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________________ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : पंचम खण्ड सासरिया हो बाई लाजै अत्यन्त सांभल ए विरतन्त । ते पिण नीचो चोगसीउनी । एहवी बातां हो सुणसी बाई देश विदेश, बले सुणसी राय नरेश । निन्दा करसी सहु तुमतणी॥ राज माह हो बाई थारी मोटी मांड, होसी जगत में भाण्ड । शील बिना इक पलक में । शील बिना हो बाई फिट फिट करे लोय, अजम अकीरत होय । नार-नारी मुह मचकोड़सी ॥ पिता सुपी हो बाई घणा पुरुषारी साख, तिण पर निश्चो राख । तिण पुरुष तणी सेवा करो॥ पर पुरुष हो बाई जाणो भाई समान, ए सीख म्हारी लो मान । ज्यू महिरा वधे थांरी जगत में ॥ ज्यू सोभे हो बाई चन्द्रमा सू रात, तिम नारी नी जात । - शील थकी सोभे घणी ॥ नहीं सोभे हो बाई नदी जलबिन लिगार, तिम नारी सिणगार । शील बिना सोभे नहीं। शील बिना हो बाई लागे कुलने कुलंक, ज्यू राजेसर लंक । तिण कुलने कलंक चढावियो । शील थकी हो सीता हुई गुणवंत नार, ते गई जन्म सुधार । कुल निर्मल कर आपणो ॥ शील बिना हो बाई जसोधरा नार, तिण कंत ने न्हांखो मार । मरने छडी नरके गई॥ शील थकी हो बाई बध्यो द्रोपदी नो चीर, पाल्यो शील सधीर । तिण जन्म सुधार्यों आपणो । शील थकी हो थांरी मोती जिसी आब, ते पिण उतरसी सताब । शील बिना एक पलक में । म्हारी मतीसू हो बाई सीख द्यूछू तोय, निज कुल साम्हो जोय । पुरुष परायो परहरी ॥ आचार्य भिक्ष ने अपनी प्रखर प्रतिभा का प्रयोग सुन्दर शब्दों की खोज व अलंकार और उपमाओं को गढ़ने में नहीं किया। फिर भी शब्दों की सज्जा अर्थानुकूल प्रयोग एवं अन्तःस्पर्शी सहजभाव । अनुस्यूत होकर जीवन रस को आप्लावित करने वाली काव्य की अमर धारा बन गई है। उपरोक्त पदावली में सहज और सरल भाषा में उपमा, अलंकार और उदाहरणों का एक समां बंध गया है, जो काव्य और जीवन के अन्तःस्रोत को निरन्तर प्रवहमान रखता है। पण्डिता धाय की उचित शिक्षा सुनने पर भी रानी नहीं समझ सकी, प्रत्युत अपनी कार्य-सिद्धि के लिए कहती है कि यदि मेरा मनोरथ सफल नहीं होगा तो मुझे कपिला (ब्राह्मणी) के सम्मुख नीचा देखना पड़ेगा। इसलिए अपनी मान-मर्यादा और बचन की रक्षा के लिए मैं एक अकार्य भी करलू तो क्या हानि है ? क्योंकि अपनी वचनरक्षा के लिए बड़े-बड़े गजाओं ने भी अनेक अकार्य किये हैं और दुःसह कष्ट उठाये हैं ० . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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