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________________ संस्मरण २५ उठते । घर-घर जाते। नाना प्रकार से लोगों को सम- कोई बात नहीं हम अभी गाड़ी ठीक कर देंगे। सभी झाते । उनकी कठिनाइयाँ सुनते और रात्रि के १२ बजे व्यक्तियों ने गाड़ी को एक साथ धक्का मारा। गाड़ी चल तक इसी कार्य में जुटे रहते । विद्वानों के भाषण करवाते। पड़ी। कुछ ही समय में श्री सुराणाजी अपने साथियों इस हिंसा को बन्द कराने के लिए दिन-रात एक कर सहित गन्तव्य स्थान पर पहुँच गये। यह सब परम दिया। छ: माह तक धुआधार प्रचार किया। कई तरह आराध्य आचार्य भिक्षु के पुण्य प्रताप से ही सम्भव हो की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक व्यक्ति ने पाया । श्री सुराणाजी को कहा कि सेठ, तुम ब्याज खाना बन्द ऐसी ही एक घटना और है जो आचार्य भिक्षु के कर दो, हम हत्या करना बन्द कर देंगे । बात बड़ी पते स्मरण मात्र से टल गयी । एक बार त्यागमूर्ति श्री सुराणा की थी। श्री सुराणाजी पशोपेश में पड़ गये । ब्याज छूटना जी श्री ताराचन्दजी छाजेड़, श्री रूपचन्दजी भंसाली व कोई आसान बात नहीं थी। श्री सुराणाजी को एक नया श्री चांदमलजी के साथ अर्थ-संग्रह हेतु कर्नाटक पधारे । तर्क उपजा । श्री सुराणाजी ने कहा--भाई ! ब्याज तो हम सिमाली गांव का कार्य करके आपको चिगेड़ी जाना था । तब लेते हैं जब तुम्हें रुपया चाहिये । तुम वध करना चिगेड़ी सिमाली से २१ मील दूर बताया गया । सभी ने छोड़ दो। तुम्हें भंसा खरीदना ही नहीं पड़ेगा और न ही सोचा कि सूर्यास्त पहले-पहले पहुँच जायेंगे । अतः चिंगेड़ी तुम्हें ब्याज पर उधार की आवश्यकता पड़ेगी। यह बात के लिए रवाना हो गये । लेकिन हुआ कुछ अजीब ही । उस व्यक्ति की समझ में आ गयी। धीरे-धीरे सभी ने चिगेड़ी सिमाली से २१ मील के स्थान पर ७० मील दूर हत्यायें न करने का संकल्प लिया। इसके बाद देवी के निकला । ४८ मील पार किये कि सूर्यास्त हो गया। आगे कोई बलि नहीं चढ़ी। धीरे-धीरे प्लेग भी बन्द हो सूर्यास्त के पश्चात् अछाया में चलने के श्री सुराणाजी के गया । गणेशमलजी महाराज तथा श्री सुराणाजी के प्रयास त्याग हैं । अतः श्री सुराणाजी वहीं पर जंगल में एक झोंपड़े सफल हए। उस समय श्री सुराणाजी की उम्र २८-२९ में ठहर गये । रात्रि में उसी झोंपड़े में सामायिक, संवर, वर्ष की रही होगी । अहिंसा के प्रति उनका यह अनुराग प्रतिक्रमण आदि क्रियाओं में तल्लीन रहकर धर्म की लो सराहनीय था। 0 प्रज्वलित की। प्रातः वहाँ से पैदल ही चल पड़े। रास्ता ५. संकटमोचक आचार्य भिक्ष डरावना था । थोड़ी ही दूर पर एक शेर के दहाड़ने की आवाज आई । सभी घबरा गये । नर-केसरी काका साहब एक बार की बात है श्री सुराणाजी कुछ व्यक्तियों के ने मजबूती रखी। सभी को ढांढस बँधाया कि कुछ नहीं साथ खानदेश के दौरे पर थे। घने जंगलों को पार करते । होगा। श्री सुराणाजी जंगल में ही एक जगह बैठकर हुए उनकी कार अपने गन्तव्य की ओर द्रुत गति से बढ़ी . आचार्य भिक्षु के जाप में लीन हो गये । थोड़ी ही देर में जा रही थी कि अचानक कार उस बीहड़ पथ में रुक गई। वह शेर न मालूम कहाँ गायब हो गया । आचार्य भिक्षु रुकी तो ऐसी रुकी कि वापस हिलना तक सम्भव नहीं स्वामी के पुण्य प्रताप से एक नवजीवन सबको मिल गया। हआ। ऐसा लगा कि कार में कोई यान्त्रिक खराबी हो अन्यथा सभी को काल का ग्रास बनना पडता। गयी है । खूब प्रयास किये। धक्के लगाये। पर कार का चक्का जाम हो चुका था। स्थान एकदम डरावना एवं ६. काला साँप और लोगस्स पाठ ५ निर्जन था । जंगली जानवरों का भय भयभीत किये जा रहा जब काकासा ग्यारहवीं पडिमा कर रहे थे अर्थात् एक था। साथ वाले भी घबरा गये, पर श्री सुराणाजी ऐसी निश्चित अवधि के लिए पूर्ण साधु का-सा जीवन व्यतीत स्थिति में भी विलित नहीं हुए। वे एक स्थान पर कर रहे थे। भिक्षा को जाते और भोजन लाते । सुबह शाम आसन लगाकर भिक्षु स्वामी का जाप जपने लगे। जाप या दिन में आने वाले भाई-बहिनों को व्याख्यान देते । में एकदम ऐसे तल्लीन हो गये कि उन्हें इर्द-गिर्द क्या हो पूर्ण साधु का-सा जीवन था आपका। एक दिन सायंकाल रहा है इसका कुछ मालूम भी नहीं पड़ा। कुछ देर बाद प्रतिक्रमण करने के पश्चात् बाहर पधारे तो पाया कि उस निर्जन स्थान पर एक साथ १२ व्यक्ति आते दिखाई मकान की फाटक पर मार्ग में एक काला सांप पुफकार रहा दिये। उन्होंने पूछा-क्या आप की गाड़ी खराब हो गई था । दृश्य अत्यन्त भयावना था। कोई साधारण व्यक्ति हो है ? उन्होंने अत्यन्त सेवा-भाव से कहा कि घबराने की तो वहीं बेहोश हो जाये । लेकिन श्री सुराणाजी घबराये Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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