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________________ जैन साहित्य में कोश-परम्परा ४२५ . -. -. - . - . - . - . - . - . - . -. -. -. - . - . -. -. -. -. - . -. - . -. -. -. -. -. - . -. -. -. - . -. - . -. -. - . -. श्लोक श्लोक १०५ ma काण्ड काण्ड १. वृक्षकाण्ड १८१ २. गुल्मकाण्ड ३. लताकाण्ड ४४ ४. शाककाण्ड ५. तृणकाण्ड १७ ६. धान्यकाण्ड इस प्रकार इस कोश की कुल श्लोक संख्या ३६६ है । यह कोश आयुर्वेदिक ज्ञान के लिए अत्यन्त उपयोगी है । आचार्य हेमचन्द्रसूरि : देशी शब्द संग्रह-आचार्य सूरि ने देशज शब्दों के लिए इस देश्य शब्दों के कोश की रचना की है। इसका अपर अभिधान 'देशी नाममाला' भी है। इसी को 'रयणावली' नाम से भी अभिहित किया जाता है। इस कोश की ७८३ गाथाओं का विभाजन निम्नवत् हुआ है१. स्वरादि २. कवर्गादि ३. चवर्गादि ४. टवर्गादि ५. तवर्गादि ६. पवर्गादि ७. यकारादि ८. सकारादि इस कोश की रचना करते समय विद्वान् कोशकार के समक्ष अनेक कोश ग्रन्थ विद्यमान थे। इन्होंने कोश ग्रन्थ की प्रयोजन इस प्रकार सिद्ध किया है जे लक्खणे ण सिद्धा ण पसिद्धा सक्काया हिहाणेसु । ण य गउडलक्खणासत्ति संभवा ते इह णिबद्धा ॥ इस कोश पर भी विभिन्न विद्वानों ने टीकायें एवं भाष्य लिखे हैं। जिनदेव मुनि : शिलोंच्छ कोश-अभिधान चिंतामणि के दूसरे परिशिष्ट के रूप में यह कोश रचा गया है। इस कोश के प्रणयन कर्ता जिनदेव मुनि हैं । जिनरत्न कोश के अनुसार इनका समय सं० १४३३ के आसपास निश्चित होता है। यह कोश परिशिष्ट के रूप में १४० श्लोकों में निबद्ध है। कई स्थानों पर यह १४६ श्लोकों में भी प्राप्त होता है। ज्ञानविमलसूरि के शिष्य वल्लभ ने इस पर टीका लिखी है। सहजकीति : नामकोश-इस कोश के रचयिता सहजकीति थे। आप रत्नसार मुनि के शिष्य थे। इनके निश्चित काल का ज्ञान नहीं हो सका है। कोश के आधार पर आपका समय सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी निश्चित होता है। इस कोश का आदि श्लोक इस प्रकार है स्मृत्वा सर्वज्ञामात्मानम् सिद्धशब्दार्णवान् जिनान् । सालिंगनिर्णयं नामकोशं सिद्ध स्मृति नमे ॥ तथा कोश का अन्तिम श्लोक निम्न है कृतशब्दार्णवैः सांगाः श्रीसहजादिकीतिभिः । सामान्यकांडो यं षष्ठः स्मृतिमार्गमनीयत् ।। इस कोश पर भी भाष्य एवं कतिपय टीकायें उपलब्ध हैं। मुनि जी की मुख्य अन्य रचनायें निम्न प्रकार हैं १. जिन रत्नकोश, पृ० ३८३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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