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________________ ४२४ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : पंचम खण्ड ___ भाषा की दृष्टि से यह कृति अमूल्य है, इसमें प्राकृत, अपभ्रंश और देशी भाषाओं के शब्दों का पूर्ण प्रभाव स्पष्ट है। हेमचन्द्रसूरि की अन्य कृतियाँ निम्न हैं१. अभिधानचिंतामणि, २. अनेकार्थ संग्रह, ३. निघंटु संग्रह, ४. देशीनाममाला, ५. (रयणावली)। आचार्य हेमचन्द्रसूरि : अभिधानचितामणिवृत्ति-यह रचना भी आचार्य हेमचन्द्रसूरि की ही का को 'तत्त्वाभिधायिनी' भी कहा गया है, इसमें शब्दों के संग्राहक श्लोक निम्न प्रकार है- की जान कांड श्लोक प्रथम काण्ड चतुर्थ काण्ड द्वितीय काण्ड पंचम काण्ड तृतीय काण्ड षष्ठ काण्ड काण्ड Mrs इस प्रकार इसमें कुल २०४ श्लोक हैं । इन श्लोकों में अभिधानचिंतामणिनाममाला मिला देने से कुल श्लोक संख्या १५४५ हो जाती है । इस ग्रन्थ में ५६ ग्रन्थकारों एवं ३१ ग्रन्थों का उल्लेख है। हेमचन्द्रस रि : अनेकार्थसंग्रह-इस कोश का प्रणयन हेमचन्द्रसूरि ने विक्रम संवत् १३वीं शती में किया। इस कोश में प्रत्येक शब्द के अनेक अर्थ प्रतिपादित किये गये हैं। इस ग्रन्थ के काण्ड एवं श्लोक संस्था निम्नवत् है श्लोक ४८ काण्ड श्लोक काण्ड १. एकस्वर काण्ड ५. पंचस्वर काण्ड २. द्विस्वर काण्ड ६. षट्स्वर काण्ड ३. त्रिस्वर काण्ड ७. अव्यय काण्ड ४. चतुःस्वर काण्ड ३४३ ___इस प्रकार इसमें १८२६+६० पद्य हैं। इस कोश में भी देश्य शब्द हैं । यह ग्रन्थ अभिधानचिंतामणि के बाद ही लिखा गया है। इसके आदि श्लोक से यही ज्ञात होता है। आचार्य हेमचन्द्रसूरि : निघण्टु शेष-आचार्य हेमचन्द्रसूरि ने निघण्टु शेष नामक वनस्पति कोश का भी प्रणयन किया है । 'निघण्टु' शब्द का अर्थ 'वैदिक शब्द समूह' होता है । लेकिन बनस्पति कोशों को भी निघण्टु कहने की परम्परा है।' डॉ० व्यूल्हर के अनुसार यह एक श्रेष्ठ वनस्पति कोश है । इस कोश की रचना करते समय आचार्य के सामने 'धन्वन्तरि निघण्टु कोश' रहा होगा। इस ग्रन्थ की रचना के विषय में आचार्य ने लिखा है विहितैकार्थ-नानार्थ-देश्यशब्द समुच्चयः । निघण्टुशेषं वक्ष्येहं, नत्वाहत् पदपंकजम् ॥ इसमें छ: काण्ड निम्नवत् हैं १. एकार्थानेकार्था देश्या निघण्टु च चत्वारः । विहिताश्च नामकोश भुवि कवितानट्युपाध्यायः ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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