SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 752
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मैन मन्त्रशास्त्रों को परम्परा और स्वरूप ३८५. घण्टाकर्णवीरजयपताका अज्ञातकर्तृक इस कृति' का संवत् २०२८ में सम्पादन श्री नरोत्तमदास नगीनदास शाह ने गुजराती भाषा में किया है । इसमें विशेष रूप से निम्न मन्त्र-यन्त्रों का समावेश किया ।६ी 120 बली' । है। १-सर्व सिद्ध महायन्त्र की विधि, २-नवग्रह यन्त्र की विधि, ह।१-सव सिख महाय ते । । ३-दशदिग्पालयन्त्र की विधि, ४-षोडश विद्यादेवी यन्त्र की विधि, ५–अष्टबटुक भैरव यन्त्र विधि, ६-बावन वीर यन्त्र विधि, ७HEIR 12 चौंसठ योगिनी यन्त्र विधि, ८-वीणाकार यन्त्र की विधि, : धनुषाकार यन्त्र की विधि, १०-स्वतिकाकार यन्त्र विधि, ११लक्ष्मीमाटे घण्टाकर्ण बीसा यन्त्र' सन्तानोत्पत्ति गर्भरक्षा यन्त्र विधि, १२-ध्वजाकार यन्त्र विधि, १३-षट्कोण महालक्ष्मी यन्त्र विधि, १४--लक्ष्मी माटे घंटाकर्ण बीसायन्त्र १५-भाग्योदय वृद्धिकारक सिंहासनाकार यन्त्रविधि आदि। वेरनावमलमा इस गुजराती कृति का सम्पादन मुनिश्री गुणभद्रविजयजी ने सन् १९७२ में किया है। इसका प्रथम भाग मन्त्रशास्त्र का है तथा द्वितीय भाग ज्योतिषशास्त्र का है । इसमें मन्त्र-यन्त्रों का सुन्दर सम्पादन किया गया है । मन्त्र विभाग-नवकार महामन्त्र एवं तेना गूढ मन्त्रो, चौबीस तीर्थकर परमात्मा के अप्रसिद्ध प्राचीन महान सिद्ध प्रभावक विद्यामन्त्र, सर्वकार्य सिद्ध महाचमत्कारी अनुभव सिद्ध मन्त्र, (ॐ तारे तारे वीरे, ॐ तारे वीरे वीरे ह्रीं फट् स्वाहा) अपराजित महाविद्यामन्त्र, श्री चक्रेश्वरी देवी के मन्त्र (ॐ ह्रीं श्रीं चक्रेश्वरी चक्रवारुणी चक्रवेगेन मम उपद्रव हन हन शान्ति कुरु कुरु स्वाहा), श्री पद्मावती देवी के मन्त्र (ॐ नमो धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय श्रीं क्लीं ऐं अहँ नमः), सरस्वती देवी के मन्त्र, व्याख्यान श्रेष्ठ आपवानो मन्त्र, श्री लक्ष्मी देवी के मन्त्र, घंटाकर्णदेव मन्त्र, कर्णपिशाचिनीनामन्त्रो, पंचागुली मन्त्र । ST .. "T - - -- -- - -- -- - - -- -- - -- - ई हीली बा. -- F----" ५.४८ । ठ: । ४२ । ३४ । ४० । फु । ऋद्धि सिद्धि यन्त्र ठ: । ३७ । ३६ । ४१ । फु । 3८ अभाव अमन भाषा अमृतमम सर्व शश है ।भर मर मुर रोग निवारण यन्त्र व्यापारवर्धक यन्त्र १. मेघराज जैन पुस्तक भण्डार बम्बई से प्रकाशित है। २. पृष्ठ २० पर ३. सेठ चिमनलाल काजी, बम्बई ५४ से प्रकाशित । ४. वेरनावमलमां, पु. ६३ ५. वही, पृ०१७ ६. वही, पृ० १०२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy