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________________ सन्देश शुभकामना श्रेयांस प्रसाद जैन 'निर्मल' ३री मंजिल नरीमन पोइन्ट, बम्बई, ४०००२१ दिनांक ३ जुलाई, १९८० मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि श्री केसरीमलजी सुराणा का सार्वजनिक अभिनन्दन समारोह आयोजित किया जा रहा है। इस समारोह के अवसर पर अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन की योजना प्रशंसनीय है। श्री केसरीमलजी सुराणा का जीवन समाज-सेवा में समर्पित रहा है । प्रारम्भ से ही उन्होंने अपने आप को समाज के सर्वांगीण उत्थान के लिए कार्य किया । वस्तुतः यह सकल्प उसके द्वारा की गई निःस्वार्थ सेवाओं का परिचायक है। सेवाभावी पुरुषों का सम्मान करना एक नया सोपान है । नयी पीढ़ी ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीख सकती है और अपना जीवन सार्थक बना सकती है। मुझे आशा है, समाज के लोग श्री सुराणाजी द्वारा किये गये कार्यों से बहुत कुछ ग्रहण करेंगे। श्री सुराणाजी के यशस्वी जीवन के लिये मैं अपनी शुभकामनाएँ भेजता हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वे दीर्घकाल तक हमारे बीच रहें और समाज का मार्गदर्शन करते रहें। वैसे जिन संस्थाओं से वे सम्बद्ध हैं, उनका आशीर्वाद तो प्राप्त है ही। ग्रन्थ के सफल प्रकाशन के लिए मेरी शुभ कामनाएँ हैं। -श्रयांसप्रसाद जैन ३८ सम्पतकुमार गधया कलकत्ता २१-१-८० माननीय सुराणाजी के अभिनन्दन का सोच रहे हैं सो सराहनीय है। यह कार्य तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। आदरणीय सुराणाजी उन व्यक्तियों में से है जो समाज में कभी-कभी जन्म लेते हैं। उनकी एकनिष्ठा, लगन व समाजसेवा सिर्फ प्रशंसनीय व अनुकरणीय ही नहीं हैं परन्तु दुर्लभ भी हैं । उन्होंने जो कुछ किया है व कर रहे हैं वह इतिहाल में सदा अमर रहेगा। अनेकों को उनसे जीवन मिला है, प्रेरणा मिली है। अनेकों संस्थाएँ उनके जन्म से जन्मी हैं। वे खुद एक बड़ी संस्था है। श्री सुराणाजी के नियम कठोर व जीवन सरल है । वे ऊपर से जितने कड़े हैं अन्दर से उतने ही मृदु है। सत्य के पक्षधर व असत्य के दुश्मन हैं। श्री सुराणाजी का जीवन एक मिशन है । बहुजन हिताय बहुजन सुखाय उनका जीवन न्यौछावर है। हमें गर्व है कि ऐसे सन्त पुरुष के समय में हम जन्मे हैं, साथ काम किया है और आज उनका अभिनन्दन करने का सौभाग्य मिल रहा है। -सम्पतकुमार गधया - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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