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________________ शिक्षा में सृजनात्मकता -. .-.-.-. -. -. -.-.- -. -.-. -.-.-. -. -.- .. नाध्यमिक कक्षाएं (कक्षा ६ के उदाहरण) १. यदि ताजमहल की नींव में पड़ा हुआ कोई पत्थर बोलने लगे। (नींव की ईंट) २. यदि बंशीधर पंडित अलोपीदीन से रिश्वत ले लेता तो कहानी का अन्त किस प्रकार होता ? (नमक का दारोगा)। ३. 'नमक का दारोगा' शीर्षक के स्थान पर कोई अन्य शीर्षक सुझाइये । (नमक का दारोगा) ४. जब दीपावली का त्यौहार आता है। ५. 'दीपावली के दीए' की आत्मकथा । ६. “भुलक्कड़ भाई साहब' की तरह 'फक्कड़ भाई साहब' शीर्षक पर एक लेख लिखिये । ७. श्री रेवतदान कल्पित ने वर्षा की उपमा बीनणी (दुल्हन) से दी है। आप वर्षा के लिए और कौन-कौन सी उपमाएँ सुझा सकते हैं ? ८. 'मरतु प्यास पिंजरा पर्यो सुआ समय के फेर ।' पंक्ति को ध्यान में रखते हुए बताइये कि यदि पिंजरे ___ में बन्द तोता बोल पाता तो अपनी व्यथा-कथा किस प्रकार सुनाता ? ६. 'कैकेयी का पश्चात्ताप' शीर्षक कविता में कवि ने कैकेयी द्वारा राम के समक्ष उसका पश्चात्ताप प्रकट करवाया है । यदि दशरथ उस समय जीवित होते और उन्हें भी अपना पश्चात्ताप प्रकट करना होता तो वे किन शब्दों में प्रकट करते ? १०. 'जसोदा कहाँ लौ कीजै कानि?'-पद में सूरदास ने गोपियों द्वारा यशोदा को कृष्ण की करतूतों का उलाहना दिलवाया है । यदि उस समय कृष्ण वहाँ उपस्थित होते तो अपनी सफाई किन शब्दों में देते ? अधिक से अधिक मुहावरे लिखिए तथा उनका स्वरचित वाक्यों में प्रयोग कीजिए(अ) मुँह से सम्बन्धित (इ) नाक से सम्बन्धित (आ) मूंछ से सम्बन्धित (ई) जानवरों से सम्बन्धित उपर्युक्त उदाहरणों में विस्तारभय से बानगी के तौर पर कुछ ही पाठ्यांशों पर विचार किया जा सका है किन्तु इसी तरह अन्य पाठ्यांशों पर सभी अध्यापक बन्धु स्वयं विचार कर सकते हैं। उपसंहार । उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट हो गया होगा कि यदि हम अपने दैनन्दिन शिक्षण में जागरूकता का परिचय दें तो बालकों में सृजनात्मकता के विकास की दृष्टि से अपरिमित कार्य किया जा सकता है। पाठ्य पुस्तक लेखकों, सम्पादकों तथा प्राश्निकों को भी इस दृष्टि से सोचना छात्रों के लिए हितकर सिद्ध हो सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकतीं कि अनुभवों की विविधता यदि हम भौतिक धरातल पर उपलब्ध न कर सकें तब भी वैचारिक धरातल पर तो ऐसा किया ही जा सकता है, किया ही जाना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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