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________________ २६० कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड A THA प्रारम्भ दिनांक १० अक्टूबर, ७६ बुधवार के दिन प्रातः ६ बजे साध्वी श्री सिरेकुमारी जी से मांगलिक सुन सारे संघ ने राणावास से प्रस्थान किया। कार में काकासा, माताजी, श्री पुखराज जी तथा मेरा स्थान अधिकांश प्रारम्भ से अन्त तक बना रहा। शेष सब यात्री पाँचों बसों में थे। प्रात: १० बजे ब्यावर-स्थानीय सभा द्वारा अल्पाहार का प्रबन्ध किया गया। मुनि श्री धनराज जी (सरसा) के दर्शन किये और संक्षिप्त प्रवचन का लाभ प्राप्त हुआ। शाम-५ बजे संघ जयपुर पहुँचा । गुजराती भवन में ठहराये गये, जहाँ खाने और आवास की व्यवस्था श्री मन्नालाल जी साहब, सुराणा की ओर से की गई । जयपुर के ग्रीन हाउस में साध्वी श्री सूरजकुमारी (जयपुर) के समक्ष सन्ध्या को कार्यक्रम रखे। प्रात: काकासा ने मुनि श्री जसकरणजी के दर्शन शहर में किये । दिनांक ११ अक्टूबर प्रात: जयपुर से रवाना हो शाम ५ बजे दिल्ली में श्री नजरबंवर धर्मशाला, सदरथाना पहुँचे । स्थानीय सभा की ओर से भोजन का प्रबन्ध था। रात्रि को साध्वी श्री किस्तूरांजी (लाडनूं) के समक्ष छात्रों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किये, वे बड़े रोचक रहे । दिनांक १२ अक्टूबर को प्रात: साध्वीश्रीजी का मंगल सन्देश व आशीर्वाद प्राप्त किया। तत्पश्चात् दिल्ली के प्रमुख स्थानों को देखने निकल पड़े। छात्रों में बड़ा उत्साह झलक रहा था, कि इतने बड़े संघ के साथ राजधानी के मुख्य स्थल देखने का सुअवसर मिलेगा। सर्वप्रथम राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि को देखा, जहाँ की अखण्ड ज्योति यात्रियों को जीवन प्रदान करती है। उसके बाद ऐतिहासिक लाल किले की ओर आये जो मुसलमान बादशाहों की देन है, मजबूत लाल पत्थर का का बना हुआ है और वह भारतीय शिल्प कला को वर्तमान में प्रदर्शित करता है। लाल किले से जहाँ पर पन्द्रह अगस्त के दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, छात्रों में उसके प्रति बहुत अधिक उत्सुकता थी। प्रधान मन्त्री जिस मंच से बोलते रहे हैं, उस स्थान को भी देखा। तत्पश्चात् नई दिल्ली में ब्रिटिश काल में निर्मित राष्ट्रपति भवन में प्रवेश किया। गाइड ने अशोक-हाल, दरबार हाल, डाइनिंग हाल आदि को ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से वणित किया। छात्र इस राष्ट्रपति भवन को देखकर बड़े प्रभावित हुए । पार्लियामेण्ट (लोक सभा) हाउस में भी प्रवेश का आदेश मिल गया, वहाँ जाकर सबने दर्शक गैलरी में बैठने का आनन्द प्राप्त किया, जो जिज्ञासाएँ रखी गईं उनका स्पष्टीकरण वहाँ के गाइड ने किया। ... इसके बाद सबकी तीव्र इच्छा थी कि श्रीमती इन्दिरा गांधी से भेंट की जाय, वह भी सुलभता से पास ही उनके निवास स्थान पर ही पूरी हो गई। श्रीमती गांधी ने दस मिनट तक छात्रों को सम्बोधित किया और राष्ट्रीय भावना की ओर प्रेरित किया। उनके साय ही संजय गांधी भी दिख पड़े। इन दोनों में करिश्मा होने से छात्र आदि सबकी इच्छा पूरी हुई। बाद में बिरला मन्दिर को देखा। उसके देखने के बाद शाम को सदर थाना धर्मशाला में लौट आये। आज का दिन सबका बड़े उल्लास में बीता । मैं भी उनके साथ था। दिनांक १२ अक्टूबर रात्रि को श्रीनगर में इतने बड़े संघ को आवास की व्यवस्था की दृष्टि से डॉ० डी० एस. कोठारी साहेब ने प्रो० एल० आर० शाह, संयुक्तमन्त्री, एन० एस० एस० भारत सरकार को सिफारिश की। श्री शाह साहेब ने काश्मीर सरकार ने फोन से सम्पर्क कर अग्रिम व्यवस्था का यूथ होस्टल (Youth Hostel) श्रीनगर में निर्देश कर दिया। इन दोनों महानुभावों के हम आभारी हैं । रात्रि को ११ बजे दिल्ली से लुधियाना के लिए संघ रवाना हुआ। दिनांक १३-१७ अक्टूबर-लुधियाना, रातभर चलने के बाद प्रात: ६-३० बजे लुधियाना पहुँचे । काकसा कार से कल ही शाम को पहुँच गये। लुधियाना में हमारे लिए सिक्ख मन्दिर स्कूल में आवास की व्यवस्था की गई। प्रवचन सभा में दीक्षार्थी भाई-बहिनों का विदाई कार्यक्रम चल रहा था। विदाई में एक हृदय द्रावक दृश्य सामने आया। जब श्रीमती राजकुमारी ने अपने पति श्री चांदमल जी भूरा को दीक्षा ग्रहण करने के लिए उस सभा में विदाई दी। विदाई के शब्द-'भगवान्, आज ___ मैं इन हजारों लोगों के सामने अपने पतिदेव को दीक्षा के लिए सहर्ष अनुमति देती हूँ तथा उनके साथ वर्षों (दस वर्ष) A Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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