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________________ श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ मानव हितकारी संघ द्वारा संचालित छात्रों के शैक्षणिक भ्रमण एवं परमाराध्य गुरुदेव प्रधान आचार्य श्री तुलसी के दर्शन के निमित्त समय-समय पर यात्रा करने की एक प्रमुख प्रवृत्ति संघ के प्रारम्भ काल से ही रही है। अब तक ऐसी अनेकों यात्राएँ सफलतापूर्वक आयोजित हो चुकी हैं। इसी क्रम में हाल ही में सम्पन्न लुधियाना, काश्मीर यात्रा का संघ के इतिहास में विशिष्ट महत्त्व है। इस यात्रा का संक्षिप्त इति वृत्त इस प्रकार है । परमाराध्य आचार्य प्रवर श्री तुलसा ने जयपुर चतुर्मास से राणावास चतुर्मास करने की घोषणा फरमाई तब से ही श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ मानव हितकारी संघ के संस्थापक संचालक "काका साहब" केसरीमलजी सुराणा की प्रार्थना प्रति वर्ष बनी रही कि आचार्य प्रवर का एक चतुर्मास राणावास में हो। इस अवधि में चातुर्मासिक प्रवास की पृष्ठभूमि में संघ ने विशाल भवन व सभा भवन बनाकर पूरी तैयारी कर ली । लाडनूं व गंगाशहर चतुर्मास में भी पुरजोर की अर्ज की गई। छात्र व छात्राओं के संघ भी सेवा में पहुँचे । चातुर्मास की उपलब्धि बहुत सरल नहीं है, सतत निष्ठा अपेक्षित होती है। उसका परिचय पूरा दिया गया, किन्तु पर्याप्त प्रमाणित नहीं हो पाया। संघ की विशाल ऐतिहासिक याला प्रो० बी० एस० धाकड़, अध्यक्ष, श्री जै० श्वे० तेरापंथ मानव हितकारी संघ, राणावास चातुर्मास प्रवास की अर्ज को अधिक बलवती बनाने की दृष्टि से दिनांक ४ जुलाई, १९७६ को संघ की कार्यकारिणी में यह निर्णय लिया गया कि इस वर्ष छात्रावास के समस्त ५५० छात्रों का संघ लुधियाना ले जाया जाय और वहाँ से काश्मीर का भ्रमण भी किया जाय । इस यात्रा को शैक्षणिक भ्रमण की संज्ञा दी जाय । स्पेशल ट्रेन के लिए, पत्र-व्यवहार भी किया जाये और वह किया भी गया, किन्तु व्यावहारिकता की दृष्टि से बसें ले जाना अधिक -सुलभकारी समझा गया और छात्रों की संख्या भी आधी की गई, क्योंकि बहुत छोटे बच्चों के लिए इतनी विशाल यात्रा आसान नहीं समझी गई। दिनांक १० से २४ अक्टूबर, १६७६ अर्थात् १५ दिन का समय निर्धारित किया गया। छात्र संघ (१) संख्या- छात्र सुमति शिक्षा सदन २६०, महाविद्यालय ३०२९० । अन्य संघ के पदाधिकारीगण प्राचार्य, प्राध्यापक, गृहपति, शिक्षक, डाक्टर, रसोइया आदि। - (२) सामान — भोजन का कच्चा सामान, बर्तन, मिठाई । (३) वाहन - बसें ५, कार - १ - काकासा के निमित्त (रात्रि में उनके द्वारा यात्रा नहीं करने के कारण ) (४) कार्यक्रम - साध्वी श्री विजयवतीजी ने ४२ विभिन्न कार्यक्रम लुधियाना के लिए तैयार करवाये। आगन्तुक अतिथियों से अतिरिक्त (५) शुल्क — प्रत्येक छात्र से १५० १०, भोजन छात्रावास की ओर से ६० रु० प्रति व्यक्ति भोजन के लिए । Jain Education International (६) अग्रिम व्यवस्था - पत्र-व्यवहार के द्वारा ब्यावर, जयपुर, दिल्ली, लुधियाना, अमृतसर को सूचना दी गई। श्रीनगर की सूचना श्रीनगर पहुँचने पर । For Private & Personal Use Only O www.jainelibrary.org.
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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