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________________ २५२ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड भवन की क्षमता - औषधालय भवन आवश्यक क्षमता के अनुरूप निर्मित है। इसमें एक कन्सलटेशन रूम बना हुआ है, जिसके साथ इजेक्शन व मेडिसन डिस्पेन्सरी भी जुड़ी हुई है। उसके बाद एक ड्रेसिंग रूम मय स्टोर के है। तीन बड़े-बड़े वार्ड बने हुए हैं, जिनमें लोहे के पलंग लगे हुए हैं। पलंग बिस्तर युक्त हैं। तीनों वार्डस में १६ बेड लगे हुए हैं, अर्थात् एक साथ सोलह छात्र तक यहाँ भर्ती रहकर इलाज करवा सकते हैं । सोलह बिस्तरों का कक्षानुसार वर्गीकरण इस प्रकार किया गया है १. कक्षा १ से ७वीं कक्षा तक २. कक्षा ८ से ११वीं कक्षा तक ३. महाविद्यालय छात्रों के लिये ४. इनके अतिरिक्त एक आइसोलेशन वार्ड भी है, जिसमें संक्रामक रोगों से ग्रस्त छात्रों को भर्ती रखा जाता है । इस वार्ड में दो बिस्तर हैं । ६ विस्तर ६ बिस्तर ४ बिस्तर औषधालय स्टाफ औषधालय में दो डॉक्टर व एक वार्डबोय-कम-अटेण्डेण्ट नियुक्त हैं। डॉ० विनयकुमार वशिष्ठ प्रतिदिन सायंकाल एक घण्टा औषधालय में आते हैं। डॉ० प्रेमचन्द रावल औषधालय के इन्चार्ज व चिकित्सक के रूप में कार्य करते हैं । औषधालय समय के अलावा भी डॉ० रावल की सेवाएँ छात्रों को उपलब्ध रहती हैं । वार्डबोय-कम-अटेण्डेन्ट अस्पताल की सफाई से लेकर बीमार छात्र की सेवा-शुश्रूषा तक का कार्य करता है । औषधालय समय - औषधालय का समय छात्रों के अध्ययन व स्कूल एवं कालेज के समय को ध्यान में रखकर इस प्रकार निर्धारित किया गया है— १. गर्मियों में प्रातः ७-३० बजे से ९-३० बजे एवं सायं ४-३० से ६ बजे तक २. सर्दियों में प्रातः ८ बजे से १० बजे एवं सायं ४ से ५ बजे तक ३. इमरजेन्सी की स्थिति में औषधालय की सेवाएँ २४ घण्टे उपलब्ध रहती हैं। दवाइयाँ एवं साधन-सुविधाएं औषधालय में एलोपेथी पद्धति से चिकित्सा की जाती है तथा प्रायः समस्त प्रकार की आवश्यक एन्टिवायोटिक, दर्द दूर करने, बुखार उतारने व अन्य प्रकार की दवाइयां उपलब्ध रहती हैं। दवाइयों में इन्जेक्शन सीरप, केपसूल, टेबलेट्स, ओइन्टमेन्ट आदि हर समय स्टाक में रहते हैं। कभी कोई दवाई स्टाक में नहीं है तो उसे पानी, जोधपुर, जयपुर आदि से तत्काल मंगाने की भी व्यवस्था है। औषधालय में समस्त दवाइयाँ गोदरेज की अलमारी में रखी जाती है। इमरजेन्सी कबट की व्यवस्था अलग से है । एक्जामिनेशन टेबल, डिस्पेन्सिंग टेबल, ड्रेसिंग टेबल, बैड पान, यूरीनल आदि भी उपलब्ध हैं | सिरेंज, इन्जेक्शन नीडल्स व अन्य औजार उबालने के लिये इलैक्ट्रिक इस्ट्रालाइजर भी है । इन्द्रावीनस ड्रिप के पूर्ण साधन, रक्तचाप नापने की वी० पी० एपेरेटस, रोगियों को तौलने की वेट मशीन, चीर-फाड़ करने एवं टांके लगाने के औजार, रुई. बेन्डेज, पेशाब उतारने का रबड़ केथेटेर, नाक द्वारा भोजन देने का नेसल फीडिंग सामान, पेट साफ करने के साधन, ca आदि सामग्री से औषधालय सुसज्जित है । औषधालय में बाथरूम व लेट्रिन की व्यवस्था भी है । Jain Education International गंभीर बीमारी की स्थिति - औषधालय में सामान्यतया समस्त रोगों का इलाज बाह्य रोगी व अन्तरंग रोगी के रूप में किया जाता है। बीमारी लम्बी चलने या संक्रामक होने की स्थिति में वार्ड में रोगी को भर्ती कर लिया जाता है । इससे भी ज्यादा गंभीर बीमारी होने अथवा आपरेशन की स्थिति उत्पन्न होने की स्थिति में छात्र के अभिभावकों को तत्काल सूचित किया जाता है । माइनर आपरेशन अस्पताल में करने की सुविधा है । बीमार को भोजन - बाह्य रोगी को स्थिति के अनुसार भोजन की सलाह दी जाती है और विशेष भोजन देने की स्थिति में सम्बन्धित छात्रावास के अधीक्षक को सूचित कर दिया जाता है, जो भोजनालय में तदनुसार भोजन की व्यवस्था करते हैं, जो बीमार छात्र औषधालय के वार्ड में भर्ती हैं, उन्हें भोजन स्थिति अनुसार बनवाकर वार्ड में ही कराया जाता है। बीमारों को दूध, फल-फूल आदि देने की भी व्यवस्था है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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