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________________ छात्र चिकित्सा केन्द्र सेठ श्री मोतीलाल बैंगाणी औषधालय, राणावास D डॉ. प्रेमचन्द रावल, चिकित्सक, औषधालय मनुष्य जितना स्वस्थ रहेगा, उसमें आगे बढ़ने और जीवन-निर्माण की क्षमता भी उतनी ही रहेगी, क्योंकि जिसके पास स्वास्थ्य है, उसके पास आशा है; और जिसके पास आशा है, उसके पास सब कुछ है। विद्यार्थी जीवन में तो यह लोकोक्ति और अधिक महत्वपूर्ण है । अगर उसका शरीर स्वस्थ रहेगा तो मन भी स्वस्थ रहेगा तथा अगर मन स्वस्थ है तो उसका अध्ययन भी स्वस्थ रहेगा। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ राणावास के संस्थापक संचालक श्रद्धेय काका साहब कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा की यही दृष्टि संस्था के प्रारम्भ से रही है, क्योंकि विद्यालय के अध्ययनरत व छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थी अपने माता-पिता से बहुत दूर रहते हैं ऐसी स्थिति में उनके स्वास्थ्य की रक्षा का एकमेव भार संस्था पर आ पड़ता है । जब तक छात्रों को छात्रावासों में परिवार की आत्मीयता एवं वातावरण नहीं मिलेगा तब तक छात्रों को न तो संस्था से लगाव रहेगा और न ही छात्र यहाँ टिककर अध्ययन कर पायेंगे। माता-पिता अपने बच्चों को उस स्थिति में घर से दूर नहीं भेजेंगे, किन्तु राणावास की इस संस्था की स्थिति दूसरी है, यहाँ प्रतिवर्ष छात्रों की संख्या बढ़ती चली जा रही है। इसका श्रेय संस्था की उत्तम व्यवस्था, विद्यालयों का उत्कृष्ट अध्ययन और छात्रावासों का अनुशासित और आत्मीय वातावरण को तो है ही किन्तु छात्रों, अध्यापकों व यहाँ सेवारत कर्मचारियों के स्वास्थ्य की देखरेख के लिये संस्था द्वारा संचालित औषधालय को भी है। औषधालय की स्थापना-संस्था द्वारा विद्यालय व छात्रावास आरम्भ करने के समय से ही छात्रों के स्वास्थ्य की देखरेख की जाती थी और राणावास गाँव के प्रसिद्ध चिकित्सक डा० विनयकुमार जी वशिष्ठ इस महत्त्वपूर्ण दायित्व को तब से ही निभा रहे हैं। पहले डाक्टर साहब प्रतिदिन सायं छात्रों को देखने के लिये संस्था में ही पधारते थे, उसके बाद आदर्श निकेतन छात्रावास के पास ही मैदान में बने क्वार्टरों में से एक कक्ष औषधालय के रूप में निर्धारित कर दिया गया, जहां निर्धारित समय पर छात्र अपना इलाज कराते थे । इमरजेन्सी में डाक्टर वशिष्ठ साहब अपने निजी चिकित्सालय में हमेशा उपलब्ध रहते थे, किन्तु संस्था के विकास के साथ-साथ एक पूर्णकालिक अस्पताल की जरूरत महसूस की गई क्योंकि पहले तो विद्यालय पाँचवीं कक्षा तक ही था, फिर आठवीं, दसवीं और ग्यारहवीं तक क्रमोन्नत हुआ। अब तो महाविद्यालय भी यहाँ पर संस्थापित है। छात्रावासों एवं उसमें छात्रों की संख्या भी इसी अनुपात में निरन्तर बढ़ती रही है। ऐसी स्थिति में काका साहब ने आधुनिक चिकित्सा सुविधा से युक्त एक औषधालय एवं उसमें पूर्णकालिक योग्य स्टाफ की आवश्यकता अनुभव की और भगवान महावीर स्वामी की २५वीं निर्वाण . शताब्दी के अवसर पर इसकी स्थापना का संकल्प लिया। औषधालय भवन-काका साहब का संकल्प जादू की तरह पूर्ण होता है । भाद्रपद कृष्णा ३ मंगलवार वि० सं० २०३१ तदनुसार ६ अगस्त १६७४ को प्रातः ८-३० बजे प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी दानवीर सेठ श्री मन्नालालजी सुराणा, जयपुर के कर-कमलों से औषधालय भवन का शिलान्यास करवा दिया गया। निर्माण कार्य पूरी गति के साथ आरम्भ हो गया और चार वर्षों में औषधालय भवन बनकर पूर्ण हो गया। इस औषधालय का नामकरण सेठ मोतीलाल बैगाणी औषधालय किया गया और वि० सं० २०३४ की फागुन शुक्ला ११ सोमवार तदनुसार २० मार्च, १९७८ को प्रातः ६-३० बजे नवनिमित औषधालय का उद्घाटन सरदारशहर निवासी और कलकत्ता के मुख्य व्यवसायी माननीय श्री दीपचन्द जी नाहटा के कर-कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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