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________________ १ २२० कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड तो उसे समझाया जाता है, उसके बाद भी अनुशासन भंग करता है तो उस छात्र पर आर्थिक दण्ड किया जाता है एवं उसके बाद भी वह अपनी आदत को नहीं सुधारता है तो उसके अभिभावक को सूचित कर दिया जाता है अथवा उचित समझने पर छात्रावास से निष्कासित भी किया जा सकता है । निर्धन छात्रों को सहायता - निर्धन और असहाय छात्रों को छात्रावास में समुचित राहत दी जाती है। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ का उद्देश्य मानव मात्र की सहायता करना है । गरीब, निर्धन और असहाय छात्र आर्थिक कमजोरी के कारण अध्ययन से विमुख न हों इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है और स्थिति के अनुसार ऐसे छात्रों को छात्रावास के भोजन शुल्क में पूर्ण अथवा अर्द्ध मुक्ति दी जाती है । अर्थ सुविधा छात्रावास में रहते हुए छात्रों के पास अर्थ अर्थात् रूपये-पैसे अपने पास रखने की स्वीकृति नियमान्तर्गत नहीं दी जाती है । हाथ खर्च के लिए संघ के केन्द्रीय कार्यालय में अपने नाम से रुपये प्रत्येक छात्र जमा करवा सकता है और उस धन में से वह आवश्यकतानुसार ले सकता है। कार्यालय में खाते में आवक-जावक का इन्द्राज होता रहता है। अगर कोई छात्र स्वयं के पास ही धन रखना चाहता है तो वह अपनी जोखिम और जिम्मेदारी पर ही रख सकता है । स्वास्थ्य सुरक्षा- छात्रों के स्वास्थ्य रक्षा की ओर छात्रावास में पूरा ध्यान रखा जाता है। छात्र के किसी भी कारण अस्वस्थ हो जाने पर संघ द्वारा संचालित श्री मोतीलाल बैगामी औषधालय के चिकित्सकों से पूरी सहायता ली जाती है । वहाँ भर्ती करने की भी व्यवस्था है । अस्वस्थता की हालत में डॉक्टर के परामर्शानुसार भोजन, फल-फूल, दूध आदि दिये जाते हैं विशेष बीमारी की हालत में छात्र के अभिभावकों को सूचित किया जाता है। छात्रावास के वार्डन बीमार छात्र की स्वयं अपने परिवार के सदस्य की भाँति देख-रेख करते हैं । Jain Education International अभिभावकों का आगमन — छात्रों के अभिभावक छात्रों के प्रवेश के समय अथवा उनसे मिलने या बीमारी की हालत सूचित करने पर प्रायः आते रहते हैं। छात्र जब अध्ययन में रुचि नहीं रखता, छात्रावास के नियमों पालन नहीं करता तब आवश्यकता अनुभव होने पर अभिभावकों को बुलाया जाता है। ऐसी हालत में अभिभावक यहाँ आते हैं, तो उनके आवास और भोजन की सम्पूर्ण व्यवस्था संघ द्वारा की जाती है । छात्रावास में मनोरंजन - छात्रावास में छात्रों के स्वस्थ मनोरंजन की दृष्टि से समय-समय पर विशेष आयोजन, बिना अध्ययन को नुकसान पहुँचाये, होते रहते हैं । ये आयोजन प्रायः रात्रि में होते हैं । सांस्कृतिक संध्या, कविता पाठ, हास्य प्रतियोगिता, अन्त्याक्षरी, एकाभिनय, विचित्र वेशभूषा, एकांकी, सामूहिक मान, आदि कार्यक्रम उनमें प्रमुख हैं। अवकाश के दिन प्रकृति-भ्रमण या किसी तीर्थ स्थान की पिकनिक का आयोजन भी किया जाता है। मनोरंजन के इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य छात्रों में सांस्कृतिक अभिरुचि पैदा करने के साथ-साथ उन्हें बोरियत से छुटकारा दिलाना भी है। इस प्रकार हम देखते हैं कि यह महाविद्यालयी छात्रावास विद्याभूमि राणावास की गौरव वृद्धि में सहायक है और स्वावलम्बी जीवनचर्या का महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। O For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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