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________________ १६८ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड 4 amrpretaim.w.man .mywam-RD.me. pow. . . . कला संकाय के अन्तर्गत निम्न विषयों का अध्यापन होता हैक्र०सं० विषय १. सामान्य हिन्दी २. सामान्य अंग्रेजी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का इतिहास ४. हिन्दी साहित्य ५. अर्थशास्त्र ६. राजनीतिशास्त्र ७.. इतिहास स्वरूप अनिवार्य अनिवार्य अनिवार्य एच्छिक एच्छिक एच्छिक एच्छिक कोर वाणिज्य संकाय के अन्तर्गत निम्न विषयों का अध्ययन होता है१.. सामान्य हिन्दी अनिवार्य २. सामान्य अंग्रेजी अनिवार्य ३. भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का इतिहास अथवा टंकण एवं णीघलिपि (हिन्दी) अनिवार्य ४. लेखाकर्म एवं व्यावसायिक सांख्यिकी कोर ५. व्यवसाय प्रशासन कोर ६.. आर्थिक प्रशासन एवं वित्तीय प्रबन्ध ७. लागत एवं परिमाणात्मक विधियाँ एच्छिक या श्रम सन्नियम एवम् औद्योगिक सम्बन्ध या टंकण एवम् शीघ्रलिपि (हिन्दी) विशेष बिन्दु-(१) टंकण एवम् शीघ्रलिपि विषय राजस्थान विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों में से केवल बारह महाविद्यालयों में है, जिनमें हमारा महाविद्यालय भी एक है। (२) शिक्षा को व्यवसायोन्मुख बनाने के टाइप की विशेष कक्षाओं का भी आयोजन किया जाता है जिनमें कोई भी विद्यार्थी भाग ले सकता है। महाविद्यालय परीक्षा परिणाम किसी भी महाविद्यालय की प्रगति के मूल्यांकन का एक मापदण्ड उसके द्वारा प्रस्तुत किये गये विभिन्न परीक्षा परिणाम हैं । इस महाविद्यालय के परीक्षा परिणाम प्रारम्भ से ही परिमाण एवं योग्यता दोनों दृष्टियों से उत्तम इस महाविद्यालय का प्राध्यापक वर्ग विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर को ऊँचा उठाने एवं परीक्षाओं में उनके द्वारा कीर्तिमान स्थापित करने के प्रति प्रतिक्षण जागरूक रहता है । पूरक परीक्षा योग्य घोषित विद्यार्थियों के अध्ययन हेतु निःशुल्क कक्षाओं का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है। इसके अतिरिक्त अनवरत अध्ययन-अध्यापन, निर्धारित अवधि में पाठ्यक्रम की समाप्ति एवं पुनः अभ्यास नियमित रूप से गृह कार्य, समय-समय पर गृह परीक्षाओं का आयोजन आदि वे महत्त्वपूर्ण तथ्य हैं, जिनसे अंततोगत्वा महाविद्यालय के परीक्षा-परिणामों का उच्च स्तर उभर कर आता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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