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________________ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन प्रन्थ : प्रथम खण्ड ॥ओम्।। श्रीयुत केसरीमलजी सुराणा को सादर समर्पित OSSERO अभिनंदन-पत्र OBSERESO SSESEBERRORESERSO परम श्रद्धास्पद! __ आज आपके सत्तरखें जन्म-दिवस के पुनीत सम्मान समारोह के शुभ अवसर पर हम आपका सादर अभिनन्दन करते हुए परम प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं । हमारे हृदय उल्लास से ओत-प्रोत होकर गद्गद् हो रहे हैं। आप पैतीस वर्षों से मानव हितकारी संघ का दृढ़ निष्ठा, असीम साहस और निःस्वार्थ भावना से कुशल संचालन कर रहे हैं। उसी के फलस्वरूप इस विद्यालय ने न केवल राजस्थान में बल्कि सारे भारतवर्ष में सम्मानजनक और गौरवशाली स्थान प्राप्त किया है, इसके लिए हम हृदय से आपके आभारी हैं। शिक्षा-प्रेमी! आपकी कर्तव्यनिष्ठा, प्रबन्धपटुता और अनुशासनप्रियता का ही यह परिणाम है कि विद्यालय एक ओर शैक्षिक और भौतिक विकास की ओर अग्रसर है, दूसरी और नैतिक और चारित्रिक शिक्षा के लिए भी सतत प्रयत्नशोल है। उसी के फलस्वरूप माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान में अपने परीक्षा परिणाम जिले में उच्चतर एवं उच्चतम स्तर के रहे हैं । आपके नेतृत्व में कला, वाणिज्य, विज्ञान, साहित्यिक व सांस्कृतिक शिक्षण की भी अभीष्ट अभिवृद्धि हो रही है। यह सब आपके स्वेद और रक्त से सिंचित शक्ति और प्रयत्न का ही प्रतिफल है जो सराहनीय है। उदारचेता! ____ आपने समय-समय पर धार्मिक एवं राष्ट्रीय समारोहों पर अपनी प्रभावोत्पादक वाणी में हमको अध्ययन, अध्यापन तथा कार्य संचालन के लिये उद्बोधन तथा प्रेरणा प्रदान कर हमारे चरित्र-निर्माण का जो पथ प्रशस्त किया है तथा पारितोषिक एवं पुरस्कार से लाभान्वित कर हमारे हृदय में जो उत्साह, उमंग और साहस की त्रिवेणी प्रवाहित की है, उसके लिए हम सब सच्चे हृदय से आपकी भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं और कृतज्ञता अनुभव करते हैं। संयम और साधना के धनी ! ___ आपका अपने आराध्यदेव युग प्रधान आचार्य श्री तुलसी के प्रति पूर्ण श्रद्धाभाव, सरल व सादा रहन-सहन, संयमित और अनुशासित आचरण, मृदुल और स्नेहशील व्यवहार, दिवस और रात्रि में पन्द्रह घण्टों की धर्म जागरणा, सात्त्विक और मर्यादित आहार, अतिथि सत्कार, चारित्रात्माओं की सेवा-सुश्रूषा आदि विशिष्ट गुणों से युक्त जीवन भारतीय संस्कृति के अपूर्व सामंजस्य का प्रतिबिम्ब हमारे मानस पटल पर अंकित होकर हमारा पथ प्रदर्शन करता है जिससे हममें भी इस संस्कृति के प्रति निष्ठा जागृत होगी ऐसा पूर्ण विश्वास है। कुशल प्रशासक! आपके उत्तरदायित्व ग्रहण करने के समय ये यह विद्यालय प्राथमिक स्तर से उच्च माध्यमिक स्तर तक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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