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कलश' है; जिसे पाने के लिए सांसारिक व्यक्ति लालायित रहता है। एक योगी, समाज-सुधारक, विद्या-वीर और गृहस्थ संन्यासी के रूप में आपका जीवन अनुकरणीय है ।
सुबह की लाली, हे मानवता के स्मारक ! आपके यश में घुल जाय, दोपहर का तेज, हे शिक्षा जगत के प्रकाश स्तम्भ ! आपको और अधिक तेजोदीष्ट करे तथा सुधाकर का अमृत आप जैसे तपःपूत योगी के व्यक्तित्व को अतिशय सुधामय करता रहे और आप शत-शत वर्षों तक हमारे प्रेरणा स्रोत बनते रहें - यही हमारी शुभकामना और जिनेश्वर देव से प्रार्थना है।
श्री जैन तेरापंथ महाविद्यालय -
(श्री सी. आर. जे. बी. एन. भंसाली वाणिज्य संकाय एवं श्री सी. जे. सेठिया कला संकाय) राणावास २१-१२-१६७९
अभिनन्दनों का आलोक १३५
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हम हैं आपके ही अपने
श्री रामचन्द छोगालाल भंसाली छात्रावास के अधीक्षक एवं पात्र
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