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________________ अभिनन्दनों का आलोक १२३ . कर्मठ कार्यकर्ता, नीतिविज्ञ परम श्रद्धय पूज्य पिताजी श्री केसरीमलजी सुराणा वात्सल्यम ति ममतामयी माताजी श्री सुन्दरबाई सुराणा के चरण-कमलों में ___ सादर समर्पित अभिनंदन-पत्र परम श्रद्धय पूजनीय ! आपका स्नेहरंजित पितृतुल्य प्रेमपूर्ण संरक्षण जो कि हमने विगत इतने वर्षों से प्राप्त किया है तथा जिससे कि हमें भावी जीवन के लिये अपूर्व मार्गदर्शन एवं लाभ प्राप्त हुआ है उसके लिए हम सब बालिकाएँ जीवनपर्यन्त आपकी ऋणी रहेंगी। साथ ही आपके आदर्शों एवं धर्मप्रियता ने हम सब पर जो अमिट छाप डाली है वह आज चाहे अंकुर रूप में क्यों न हो, भविष्य में अवश्य ही वृक्ष रूप में परिणत होगी। परमत्यागी-तपस्वी ! आप दोनों अपूर्व त्यागी हैं । आप जिस कार्य में भी जुटते हैं उसे तन, मन व धन ही नहीं अपितु सर्वस्व अर्पण करके भी पूर्ण करने का प्रयास करते हैं। आपकी इसी सर्वस्व अर्पण की त्यागमय भावना ने ही महावीर कन्या विद्यालय रूपी इस संस्था को खून एवं पसीने से सींचकर जिस वट-वृक्ष का रूप प्रदान किया है वह निश्चय ही सराहनीय एवं अनुकरणीय है। सच्चे पथ-प्रदर्शक ! आपने हम बालिकाओं को जीवन के उषाकाल से ही अंगुली पकड़कर चलना सिखाया, पीठ थप-थपाकर दौड़ना सिखाया तथा उत्साहयुक्त, प्रेरणादायक सच्चे पथ-प्रदर्शन से संसार में स्थिर रहना सिखाया। संसार के झंझावातों के झकोरों से बचाकर इस संस्थारूपी नाव को सच्चे नाविक की भाँति संचालित करके आप अपने निरन्तर प्रयासों से प्रगति की ओर अग्रसर कर रहे हैं। कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता ! हम जैसी नन्हीं-नन्हीं बालिकाओं को सच्ची शिक्षा प्रदान कर उसके माध्यम से योग्य महिलाएं बनाकर समाज के समक्ष एक नवीन आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं । इस प्रकार से आप समाज की ही नहीं अपितु समस्त राष्ट्र की सच्ची सेवा कर रहे हैं । इस प्रकार के कर्मठ, निस्वार्थ सेवी विरले ही होते हैं। आपकी यह समाज-सेवा चिरस्मरणीय रहेगी एवं अन्य समाज-सेवकों को सदा प्रेरणा देती रहेगी। धर्मानुरागी ! आप सच्चे धर्म-प्रेमी आदर्श नर-नारी हैं । आपकी धर्मप्रियता सभी प्रकार की संकीर्णताओं को लाँघ चुकी है। हमारी यह महिला शिक्षण संस्था भी इसी व्यापकता का एक ज्वलन्त उदाहरण है । सामायिक, पौषध, तपस्या आदि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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