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________________ काव्याञ्जलि १०५ .......................................................... ........ ...... कोटि-कोटि अभिनन्दन 88888888888888888888 - श्री हीरालाल गांधी 'निर्मल' (ब्यावर) V कोटि-कोटि अभिनन्दन हो, तुझे सहस्रों वन्दन हो, शत-शत पूजन-अर्चन होहे कर्मयोगी, हे धर्मयोगी, हे त्यागमूर्ति, वैराग्यमूर्ति - तू समाज सेवक है !....तू महान् प्रेरक है !! आत्म-साधना में रत होकर, सभी सुखों का त्याग किया। विद्याभूमि राणावास में विद्या से अनुराग किया। प्राथमिक विद्यालय से ले महाविद्यालय तक शिक्षाका प्रकाश-स्तम्भ लगाया और स्वयं धारी दीक्षा॥ कोटि-कोटि अभिनन्दन हो,........ दृढ़-संकल्पी, कर्मठ, धुन का धनी, तेरा व्यक्तित्व महान् । 'साधु-पुरुष' कहा तुलसी ने जो युग के आचार्य प्रधान ॥ स्वयमेव हो एक संस्था, करने मानव का उत्थान'गांधी' जैसी ठानी तूने, सेवा में हैं, तेरे प्राण ।। ___ कोटि-कोटि अभिनन्दन हो,........ तुम समाज के महासुधारक और क्रान्तिकारी हो। हे आदर्श गहस्थ व श्रावक बारहव्रत के धारी हो । निर्धन के धन, निरभिमानी, प्रतिमाओं के धनी बने । एक सहज व्यक्तित्व तुम्हारा, तुम सबको लगते अपने ॥ कोटि-कोटि अभिनन्दन हो, ....... बड़े तपस्वी, छात्र-हितैषी, संस्कार-निर्माता हो। अनुकरणीय विभूति तुम हो, दुखियों के दुःख-त्राता हो। हे उदार-प्रकृति पुरुष तुम जन्म-जात पर-उपकारी । युगनिर्माता, और साधना-संयममय जीवनधारी ।। कोटि-कोटि अभिनन्दन हो,........ अविस्मरणीय, श्रद्धास्पद, गहस्थी हो पर संन्यासी । निस्पृह एवं अनासक्त हो, मोक्ष-मार्ग के तुम राही ।। काका साहब श्री केसरीमलजी साहब सुराणा। जन-जन के तुम हृदय-हार हो 'निर्मल' वन्दन अपनाना ।। कोटि-कोटि अभिनन्दन हो,........ 00 कावि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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