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________________ १०४ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : प्रथम खण्ड Jain Education International काकासा के जीवन का हम नव इतिहास सुनाएँ । ओ श्रावकजी के जीवन का हम नव इतिहास सुनाएँ ॥ नव इतिहास सुनाएँ श्रावक के गुण बतलाएँ ॥धू व । । सांसारिक जीवन में जो साधु-सा जीवन जीते । आंधी और तूफानों में भी खिले फूल ज्यों रहते ॥ ये धुन के धनी महान जी, इस हस्ती पर अभिमान जी । गौरव है मरुधर भूमि का, ऐसे श्रावक पाए ओ ॥ १ ॥ संस्था के ये प्राण, इन्हें संस्था प्राणों से प्यारी । रहते हैं निर्लिप्त कमल ज्यूँ खिली धर्म की क्यारी ॥ श्रावक गुण रत्न निधान जी, कांठे की अनुपम शान जी । रात-दिवस सामायिक में ही अपना समय बिताएँ ॥ २ ॥ "समयं गोयम मा पमाय" का सूत्र आपने धारा । सतत प्रवाहित है जीवन में समता - रस की धारा ॥ स्वाध्याय में तल्लीन जी, कर रहे कर्मों को क्षीण जी । महावीर के आनन्द ज्यों, तुलसी के आप कहाए || ३ || साधु-सन्तों की सेवा यह बड़ी लगन से करते । कर निरवद दलाली सद्गुण से जीवन घट भरते ॥ हैं विनय भक्ति में लीन जी, रहे सेवा में तल्लीन जी । मात-पिता की उपमा को साकार आप कर पाये ||४|| उभरा है व्यक्तित्व एक मुनि श्री विजयकुमार 00 भावों में है गुरुता जिनके और सादगी जीवन में 1 उभरा है व्यक्तित्व एक ऐसा समाज के दर्पण में || नाम केसरी गोत्र सुराणा से जो हुए जगत विख्यात । जिनके उज्ज्वल जीवन का चहुं दिशि में फैला यश अवदात || धन वैभव को छोड़ा, मौज मानते ये फक्कड़पन में ॥१॥ नव इतिहास सुनाएं [] साध्वी श्री सिरेकुमारी ( सरदारशहर) नहीं धर्म कथनी में केवल, जिया सदा व्यवहारों में । धैर्य और साहस नहीं त्यागा, कभी चढ़ाव उतारों में ॥ कर लूँ इस तन से कुछ सेवा, ठानी है अपने मन में ॥२॥ होती है साकार जहाँ सच्चे मानव की परिभाषा । बच्चों को उन्नत संस्कार मिलें, जिनकी है अभिलाषा ॥ कठोरता कोमलता दोनों जिनके अनुशासन में ||३|| For Private लगते हों चाहे ये गृहस्थ पर योगी सम इनका वर्तन | हैं कर्मशील धुन के पक्के संयम में करते सदा रमण ॥ ऐसे ही मानव बनते 'विजयी' जीवन समरांगण में ॥४॥ 05 Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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