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________________ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : प्रथम खण्ड विश्वासपात्र विभूति 0 श्री भंवरलाल धींग (रीछेड़) देश के अनेक क्षेत्रों में अनेक तरह से अपनी योग्यता- मनमाना चन्दा लेकर आते हैं। क्या ऐसा व्यक्तित्व लाखों नुसार कार्य करने वाले कार्यकर्ता हैं । अक्सर हर-एक कार्य- में भी मिल सकता है ? आपने सेवाभाव से लाखों का कर्ता का अपना व्यक्तित्व होता है । ___ चन्दा किया और उसका आपने क्या किया? यह कभी परम आदरणीय केसरीमलजी साहब सुराणा, जिनसे किसी को पूछने का साहस तक नहीं हुआ होगा? क्योंकि मेरा वर्षों से सम्पर्क रहा है, आप एक निष्ठाशील, परिश्रमी, आपने अपने क्रिया-कलापों एवं व्यवहारों द्वारा उसे जगनिर्भीक, निःस्वार्थी, दूरदर्शी, निष्पक्ष, गुरु के प्रति समर्पित जाहिर कर रखा है। भावना वाले, निरभिमानी, सादगीपूर्ण, त्यागमूर्ति एवं महान् आज जन-जन के मन में आपके प्रति अगाध श्रद्धा है विश्वासपात्र विभूति हैं। जिसका स्वर्णिम परिणाम असंख्य छात्रों का भविष्य निर्माण आपका नाम केसरीमलजी है। जैसे केसरी निर्भीक करने वाला, लाखों की लागत से बना हआ छात्रावास बता होता है, जंगल में अपनी मनमानी करता है वैसे ही आप रहा है । निर्भीक होकर जिस क्षेत्र में पधारते हैं वहाँ से आप अपना 30 समय की कसौटी पर खरे श्री सोहनलाल बोहरा (केलवा) तेरापंथ का इतिहास अनेक ऐतिहासिक एवं धार्मिक किया ऐसा अवसर किसी सौभाग्यशाली को ही प्राप्त समर्पण की कड़ियों से परिपूर्ण है । जिसको श्रमण-श्रमणियों होता है। श्रद्धय सुराणा सा० का जीवन विविध आयामों ने अथक श्रम से संवारा है, तो दूसरी ओर श्रावक समाज को संजोये हुए हैं। गृहस्थ-जीवन में साधुत्व का जीवन का योगदान भी इतिहास निखारने में पीछे नहीं रहा । वह विरले ही यापन कर सकते हैं। जिस धन एवं सम्पदा के समय की कसौटी पर खरा उतरा है। जयाचार्य से लिए संघर्ष चलते हैं, अपने-पराये के रिश्ते समाप्त कर भण्डारीजी ने शासन-भक्ति का परिचय देकर चातुर्मास की अकरणीय कार्य होते देखे गये हैं। भौतिकवाद के इस युग बक्षीश प्राप्त की तो वर्तमान में श्रद्ध य केसरीमलजी ने भी में ऐश्वर्य को ठोकर मारकर समाजहित में स्वयं एवं शासन-भक्ति से आचार्यप्रवर को प्रभावित कर जब चाहे परिवार को समर्पण कर आपने जो उदाहरण प्रस्तुत किया राणावास के आस-पास चातुर्मास का आशीर्वाद प्राप्त वह एक चुनौती है। अवर्णनीय गौरव गाथा श्री अनूप जैन (कलकत्ता) महापुरुषों के जीवन-चरित्र पर लेखनी नहीं चल मान-अपमान त्यागकर सम्पूर्ण जीवन और जीवन के पाती। हमारा चुना हुआ प्रत्येक शब्द तुलना में न्याय कर प्रत्येक क्षण को जिस प्रकार मानव-सेवा में खपाया है, वह पायेगा अथवा नहीं, यह एक विचारणीय प्रश्न है। अगर समस्त जैन समाज ही नहीं अपितु सम्पूर्ण मानव-जाति के लेखनी चल भी गई तो इनके जीवन का मात्र एक पहलू गौरव में चार चांद लगाता है। काश, ऐसे आठ-दस व्यक्ति ही हम छू पायेंगे, यह भी उनके प्रति न्याय नहीं हुआ। ठीक और मिल जायें तो आज के शिक्षा-जगत् की बहुत-सी ऐसा ही काकासा श्री केसरीमलजी सुराणा के बारे में समस्याएं स्वत: ही हल हो जायें। निःसन्देह उनकी गौरव अनुभव हो रहा है। गाथा को लिपिबद्ध करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। इस कलियुग में काकासा जैसे व्यक्तित्व विरले ही वह अवर्णनीय है। मिलते हैं। उन्होंने अपना सुख-दुःख, परिवार, व्यापार, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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