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________________ BAS जीवन को यदि पुष्प कहाजाए, तो सेवा, समर्पणभाव और समग्र मानवता के कल्याणका सत्संकल्पउसकीमधुर सुवास है. जीवन को यदि दीपक कहाजाए तो संयम,त्याग,आत्मअनुशासन उसकी दिव्यज्योति है. श्रीकेसरीमलजीसुराणा काजीवन-पुष्प,सदाबहारपुष्पहै जिसकीमधुरसुवास से परिपार्श्वकासमय वातावरण आधी शताब्दी से सुरमितहोरहा है। श्रीकेसरीमल जी सुराणा कीजीवन-ज्योतिसेवेस्वयं तोदीप्तिमान है ही उनके सानिध्य में आने वाला हर दीपक प्रज्ज्वलित हो उठता है. विगत पांच दशक से उनकाजीवन, त्याग काजीवन्त रूप,सेवा का प्रवहमान स्रोत, ज्ञान की प्रज्ज्व लित 'शिरवा, समत्व और कर्मयोगका प्रवर्तमान चक्र तथा सादगी,सत्यनिष्ठा,अनुशासन, कर्तव्यपालन का एक महाकाव्य-सा बन चुका है। CHTHAH प्रकाशक-कर्मयोगी श्रीकेसरीमलजीसुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशनसमिति, जैन तेरापंथ महाविद्यालय,राणावास-३०६०२३. मुढ़क-श्रीचन्दसुराना सरस' १६,नेहरूनगुर आगराके निदेशनमें मोहन मुद्रणालय,शैल प्रिन्टर्स एवं श्री प्रिन्टर्स,आगरा. a Eden Internal Som Private's Binal Use Only Jwwaropalbrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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