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________________ -.-. -.-.-.-....... ...... .... .. .... ....-. -. -. -. -.-.-. -. -. .... . .. ... जैन धर्म और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान o आचार्य राजकुमार जैन १ई।६ स्वामी रामतीर्थनगर, नई दिल्ली-११००५५ जैन दर्शन और आधनिक चिकित्सा विज्ञान में सैद्धान्तिक, प्रायोगिक या वैचारिक दृष्टि से यद्यपि कोई विशेष समानता प्रतीत नहीं होती और न ही दोनों के दार्शनिक पक्ष में कोई अनुपूरकता की स्थिति है, तथापि इस दृष्टि से यह विषय महत्त्वपूर्ण है कि मानव समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की वर्तमान उपलब्धियों से लाभान्वित हो रहा है। जिस शरीर के माध्यम से जैन दर्शन आत्म-साधन और आत्मानुशीलन हेत मनष्य को प्रेरित करता है, उस गरीर को रोगमुक्त बनाकर उसे स्वस्थ रखने में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का वर्तमान समय में अपर्व योगदान रहा है। आत्मा के बिना शरीर का कोई महत्त्व नहीं है और शरीर के बिना आत्मा को मुक्ति मिलना सम्भव नहीं है। इस दृष्टि से दोनों एक-दूसरे के अनपूरक हैं । जैन दर्शन यदि आत्मा को विशुद्ध स्वरूप प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करता है तो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान मानव शरीर को स्वास्थ्य रूपी विशुद्धता प्रदान करने में समर्थ है। इस दृष्टि से जैन दर्शन और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान दोनों को अप्रत्यक्ष रूप से परस्पर सम्बन्धित माना जा सकता है। किन्तु दोनों का सम्बन्ध ३ और ६ की भाँति ३६ के समान परस्पर विपरीत भावात्मक होगा। क्योंकि जैन दर्शन आध्यात्मिकता का पोषक है जबकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भौतिकता का। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान द्वारा वर्तमान युग में मानव समाज का उपकार किस रूप में किस प्रकार किया जा रहा है ? इस पर भी कुछ विचार करना आवश्यक है। तत्पश्चात उस पृष्ठभूमि के आधार पर जैन दर्शन के साथ उसका सम्बन्ध निरूपण किया जायगा। वर्तमान वैज्ञानिक, भौतिकवादी एवं प्रगतिशील युग में मानव की समस्त प्रवृत्तियाँ अन्तर्मुखी न होकर बहिर्मुखी अधिक हैं । इसी प्रकार मानव की समस्त प्रवृत्तियों का आकर्षण केन्द्र वर्तमान में जितना अधिक भौतिकवाद है, उतना अध्यात्मवाद नहीं । यही कारण है कि आज का मानव भौतिक नश्वर सुखों में ही यथार्थ सुख की अनभूति करता है. जिसका अन्तिम परिणाम विनाश के अतिरिक्त कुछ नहीं है। वर्तमानकालीन सतत चिन्तन, अनुभूति की गहराई, अनशीलन की परम्परा और तीब्रगामी विचार प्रवाह सब मिलकर भौतिकवाद के विशाल समुद्र में इस प्रकार विलीन हो गये हैं कि जिससे अन्तर्जगत् की समस्त प्रवृत्तियाँ ही अवरुद्ध हो गई हैं। इसका एक यह परिणाम अवश्य हुआ है कि वर्तमान मानव समाज को अनेक वैज्ञानिक उपलब्धियाँ प्राप्त हुई हैं, जिससे सम्पूर्ण विश्व में एक अभूतपूर्व क्रान्ति का उद्भव हुआ है। यह क्रान्ति आज वैज्ञानिक क्रान्ति के नाम से कही जाती है और इससे होने वाली उपलब्धियाँ वैज्ञानिक उपलब्धियां कहलाती हैं । आधुनिक विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में ये वैज्ञानिक उपलब्धियाँ हुई हैं और हो रही हैं । उन्हीं उपलब्धियों में से एक है-आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की उपलब्धि । इसे एलोपैथी या आधुनिक चिकित्सा प्रणाली (Allopathy or Modern Medicine) भी कहा जाता है। जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया जा चुका है आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की समस्त उपलब्धियाँ भौतिकवाद की देन हैं और उनकी समस्त प्रवृत्तियाँ भौतिकता की ओर उन्मुख हैं। इसी सिद्धान्त पर आधारित आधुनिक चिकित्सा प्रणाली भी भौतिकता से प्रेरित और भौतिकवाद की ओर उन्मुख है । मेरे उपर्युक्त कथन की पुष्टि निम्न कारणों पर आधारित है आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का मुख्य लक्ष्य केवल शरीर के रोगों की चिकित्सा कर उनका उपशम करना है.. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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