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________________ ११ Jain Education International १२२ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : षष्ठ खण्ड लोहा झाट देते भुजां डंडा आसमांण लागा, रुघाहरी सिंघीरांग बागा आकारीठ ॥ १० ॥ विधूस खाग हूँ फिरंगाण रा चौवड़ा वाड़ा, घेतलां ऊवेड़ जाडा जोड़ जोस घटेल । जोरावर अथाय आघात रो देखतां जूझ, मांण छडे भागो आधीरात रौ पटेल ।। ११ ।। लाखां माल गयंदां सहेत डेरा लूट लीधा 1 स बोल धणी रा कीधा लिक्खयां सुजाव । जीता देस देस ने दिलेस नै गांजियों जंण, तण माधवेस ने भांजियों रुकां ताव ।। १२ ।। हिन्दू पातसाह बिजैसाह री तपस्या हूँता, शहाजीत मी साल में दियो अरेह । राजा प्रताप चो धिरे जिहांन भाखियौ सारे, अंबानेर वाली राज राजा राखियो अबीह ।। १३ ।। बजावै जैतरा जांगी मिलावे अच्छरां वरां, रूकां धारां धपावे घेतला चौ वीर रीति । अज्जमेर कीलो अच्छेही धरा लोधी अही, जैतवादी सींघवी तेहरी राडांजीत ॥ १४ ॥ कुरमाण प्रताप चौ सारो रोग काट आयो, तर सेन लोहां लाट आयौ सरताज । खावंद चा स बोल बाला सारी धरा खाट आयो, राड़ाजीत थाट पाट आयो भीमराज ।। १५ ।। भण्डारी सिवचन्द - यह वि० सं० १८५१ में १८५५ तक जोधपुर राज्य का फौज बख्शी रहा । इसके सम्बन्ध में निम्न गीत मिला है । गीत सिवचन्द भण्डारी रो मन सुघ म्हैं तुझ फायदा माँगा, जुग जुग अविचल रहे जस । दे काइक सिवचन्द हरख दिल, जैपुररी आछी जिनस ॥ पैखै खाग पूछे परिपाटी, करें जास तारीफ कवी । तै आंणी आंबेर तलासे, नाला दे टूम नवी ॥ जगपत री सेवा कर जोड़ी, मरथ जोड़णा गरब गये । दीजै इसी पौमसी दूजा, हर इक चौखी चीज हमैं || सोमाचंद तणा सत सोनन, बिलसे विमौ बजावे वार | भागां रा वदुआ रौ भाई दे मुंहगी बटुओं दातार । सिंघवी इंद्रराज - यह विक्रम की उन्नीसवीं शताब्दी का एक महान और प्रतापी जैन योद्धा था । जोधपुर के महाराजा भीमसह के अन्तिम दिनों में उपद्रवी सरदारों का दमन करने, जालोर पर जोधपुर का अधिकार जमाने, भीमसिंह के बाद मानसिंह को जोधपुर की गद्दी दिलाने तथा उसे स्थायित्व प्रदान कराने में इस सिंघवी इन्द्रराज ने जिस वीरता, दूरदर्शिता और रणकुशलता का परिचय दिया तथा अन्त में अपने प्राणों का भी उत्सर्ग कर दिया, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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