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________________ मुनि कान्तिसागर : लोंकाशाह की परंपरा और उसका अज्ञात साहित्य : २४३ KARNAMMAMMIRMANAKARMA थावचा जेम जमालि उछव आगम वेण यथा कथियं । चोवीसे सा इणी पर भाष धन कुष जिण अवतरीयं ।। रूपां गुरु पासे नव जण संजम चारित्त गांणी हथ आदरीयं । जे जे जस बोलें अमृत तोलें दामोदर महिमा झिलीयं ।। दोहा श्रीसदगुरू नी सेवा करें सीष अर्थ विचार, छंद तरक परवीण गुण व्याकरणादिक सार । चवदे विदा अविस बहोतर कला प्रधान, सोभागी महिमा निलों ग्यान दे रहै लीन ।। संवत सोल सताणुवे आषाढे शनिवार, विधनादिक पदवी रची कीसनगढ सुविचार । छंद अडयल तो रूपा गुरु सुन्दर धर्म धुरंधर थाप्यो निज पटधार । दामोदर नींको दीधो टीकौं रूपां सवै गछ भार । श्रावक महिमा मागर कलासागर वेणीदास उदार । उच्छव बहुं किधां वंछित सीधां भरियां पुन्य भंडार ।। महिमां जग भीतर आणंदनि पर संघ सवै सिरदार । गछपति सुषकारी जग हितकारी दामोदर दिनकार ।। व्रत पांच सिषावें सुमति चढावें दशविध धरम प्रकार । सतरे विध संयम तिर्थ जंगम पंचें पंचाचार ।। नौविध भ्रमचारी उग्रविहारी दूरे दोष अढार । संपति गुण पुरां तेज सनूरां निरदोषण आहार ।। तिहु गुपतें पिवित्र मगह चित्रां त्यागें विषय विकार । मनथ मद धुरा सील सनुरा जिन सासन सिरदार ।। क्रोधा विकथा टाल भव अजुवाल सोहै गुण छत्तीस । बारी तप तापन भावन भावन लक्षण अंग बत्रीस ।। मुनिवर वड प्रत्तमा द्वादश धर्मा धिन धिन तो पोहवीस भवि जिन जे वंदे ते चिर नंदे पोहचै मन जगीस ।। पावन पुरूषोत्तम पोहवी उत्तिम तरण तारण संसार । गोइम जिम ग्यांनी मधुरां वाणी केसी गोयम तीर ।। ठकर जस करणी पुन्यम भरणी समता रस भंडार । रतना कुल मंडण कुमति निषंडण जगजीवन अणगार ।। दोहा जग तारण जग उद्धरण श्रीधनराज उजीर, मांनु श्रीजिन वीर के गोतिम नाम सधीर । गछ नायक गुणवंत नर अति सेवंत मुणिंद, महिमा महियल विस्तरी जागें जोति जिणंद ।। ज्ञान जोति जगमग जगी वटालें कर्म दंदुल । कुमति विडारण केहरी बालौं बोल अमोल । छंद नाराचक सुकाम धाम ईस वीस ग्यांन ध्यान सोही ए । निरंद इंद भूप चंद दुष विभ मोही ए॥ दाह' स VERSE MIN M Y MOTIONAL THEDAY A /1111111111 1 111TMANJILIATIONAL ARTISTRATION 1111... HIMITRALIAhim. IIIIIII...IUAN111... For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org - Jain Education Interational
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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