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________________ २३४ : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति-ग्रन्थ : प्रथम अध्याय 洪素养孝恭恭採潔茶器款款深紫米蒸茶器茶 तिम मुझ उलट उपनो, गुरू गुण गावा अवदात, ते भवीयण तुम्हो सांमलो, जेहनो जस विष्यात ॥३॥ रूप ऋषीवर गुण निलो, जीवजी जुगप्रधान, वड वरसिंघ वरसिंघजी, जस्स महिमा मेरू समान ।।४॥ तास पाटि पटोधरू, परबत पुत्र पवित्र, सती सहोदरां जनमीयां कहिसू तास चरित्र ॥५॥ मरूधर देशि जाणीइ, सोझित मोटुं गाम, वसि तिहां विवहारिया, उसवंस अभिरांम ।।६।। परबत घरणी सहोदरां, जनमो पुत्र रतन, अनुक्रमि वैरागीयौ, संयम उपरि मन ॥७॥ श्रीपूज्य रूवहस्ते करी, संजम दीवू सार, तिहाथी अनुक्रमि आवीया, सविपुर नगर मझारि ॥८॥ संघ तेडी श्रीपूज्यजी, पूब्रा पुरुष प्रधान, ऋषि जसवंतनि पद आपीई, एह छइ गुण निधान ॥६॥ संघ सहु, वलतुं कहि. वांदी सहि गुरू पाय, पूज्य पटोधर थापीइ जस नामि नव निध पाय ॥१०॥ संघ समक्षि श्रीपूज्यजी, निज पद दीघु सार, संघ सहु आणंदीया, तव वरत्यो जयजयकार ॥११॥ विहार करी वंदावतां, आव्या गुजर देस, श्रावक सहु आणंदीया, सुणी सदगुरू उपदेश ।।१२।। जस कीरति वाधी घणी, जसवंतजीनी जाणि, जिन शासन दीपाववा, उदवषों अवनी भाण ॥१३॥ श्रीपूज्य पाटि दीपावता, ऋषि जसवंत जगि जाण, तास चउमासां गायसु, सुणयो चतुर सुजाण ॥१४॥ राग देशाष श्रीपूज्य सीरोही आवीया, पूज्य प्रथम चउमास सकल संघ आणंदीया, पोहोचि मनानी आस । १५ श्री श्रीपूज्य बीजें बंदिर पंभायति, चउमासु सार संघ सहु उछव करि, हइउ हरष अपार । १६ श्री पाटिण पूज्य पधारीया, प्रभू पूरण पास भणसाली भगति करि घणी, तृतीए चउमासि ।१७ श्री उसमापुरि चउथु करूं, पांच, पंभाइति बुधि निधानइ बि कर्यो, सविपुरि संघाति । १८ श्री घंभाइतिं करूं आठमुं, श्रावक सुषकार धर्म दीपति थइ घणी, त्रांबावती मझारि । १६ श्री वउपद पटोघर आवीया, संघ हरष अपार तप जप बहु लावा, नवमि ते सार । २० श्री अहिमदिपुरि गुरू आवीया, दशमि सुषसार अग्यारमि राजनगरमां, सोनी समझा अपार । २१ श्री उसमापुरि उछव घणां, विलगतां सार सात सात थयां षंभाइति, गातां हरष अपार । २२ श्री राग सारंग अहिमदिपूरि पनरहवारे, पाटिण रहा नव सात जादोरे सतम जाणीइरे, जेहनी बहुली ष्यात । २३ सुगुण नर सेवो एह गुरू सार जस नामि सुष अपार । सुगुण० आंचली आठ दशपी षोडइ थयां रे, श्रागरि उगणीसमुं उदार अजमेर महिमा घणे रे, दश दशमं करं सार । २४ सुगुणः LATIMES __Jain EcludinandMANVelamaAILEMENTALATHI WHATRApnjinimumARIHARITToilmSTIN TASTICIAADIMANSUIC SUDibrary.org A TIRMATIOnl..
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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