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________________ है। उक्त अवसर पर पूज्य श्री ने वांगणी में साधु साध्वी के लिए टोकरसी नैनसी सावला की ओर से आराधना भवन बनाने की घोषणा की। पूज्य श्री ने विहार यात्रा में एहसास किया कि वांगणी में आराधना भवन का निर्माण करना आवश्यक है। इस घोषणा का करतल ध्वनी से स्वागत किया गया। भाषण दौरान कहा कि साध्वीजी श्री पुष्पाश्रीजी म. आदि श्रमणी मण्डल का इस कोंकण यात्रा में मुझे सदा सहकार मिलता रहा। समस्त कोंकण प्रदेश में श्रमणी मण्डल के विचरण करने से महिलाओं में विशेष रुप से धर्म जागृती आयी है। उक्त अवसर पर पूज्य श्री ने आगामी गुरु जयन्ती का आदेश गुडा बालोतान् निवासी श्री अमिचन्दजी हंजारीमलजी अम्बरनाथ को दिया। उनकी ओर से पौष शुक्ला ७ रविवार १२ जनवरी १९९२ को मोहने में गरु जयन्ती का भव्य आयोजन होगा। श्रमणसूर्य पूज्य मुनिराज श्री लक्ष्मणविजयजी म.सा. की सप्तम पुण्य तिथि का आदेश श्री संघ भायंदर (पूर्व) को दिया। इसी के साथ अनेक श्री संघो की विनंतियाँ के आग्रह को ध्यान में रखते हुए, विशेष लाभ को देखते हुए भायंदर (पूर्व) में २०४८ का आगामी चातुर्मास की घोषणा की। पूज्य श्री ने भाषण के अन्त में कहा कि कोंकण प्रदेश में तब तक रहँगा जब तक कोंकण के अधुरे कार्य पूर्ण नहीं हो जाते है। हमारी सबसे बड़ी जबाबदारी कर्जत की है। मैने कई बार कहा है कि कर्जत के मंदिर का कार्य पूर्ण करवाना है। मेरा वह मुख्य कार्य है। आज वह कार्य प्रगति के पथ पर अग्रसर है। पूज्य श्री ने भावात्म होकर धाराप्रवाही मधुर भाषा में प्रवचन दिया ५ हजार से भी अधिक जनमेदिनी एकाग्रचित्त होकर पूज्य श्री के मुखार बिन्द से श्रवणकर रही थी। __ परम पूज्य श्री लेखेन्द्रर्शखरविजयजी म.सा. द्वारा लिखित धार्मिक उपन्यास "बहती नदी" का विमोचन श्री डूंगरमलजी दोशी के कर कमलो द्वारा हुआ। सविधि पंचक्रमण का विमोचन श्री मोहनलाल श्री जैन के द्वारा हुआ पू. मुनिराज श्री लोकेन्द्रविजयजी म. द्वारा दिये गये गुजराती भाषा में प्रवचनों की पाण्डुलीपी का विमोचन गोरेगाँव निवासी श्री उमरावचन्दजी गुन्देचा, तिलोकचन्दजी पटियात, कुन्दनमलजी डी. जैन व श्रीपुरुषोत्तमदास के कर कमलों द्वारा उल्लासमय वातावरण में सम्पन्न हुआ। श्री पार्श्वपदमावती शक्तिपीठ गुरु लक्ष्मण ध्यानकेन्द्र में निर्मित विशाल धर्मशाला का उद्घाटन माघ शुकल ११ शनिवार २६ जनवरी को किये जाने की घोषणा की। इसी अवसर पर श्री कुन्दनमलजी नाहर एवं सायरमलजी माणेकचन्दजी की ओर से शक्ति पीठ में दिये गये उदार मन से सहयोग की घोषणा की। मुनि द्रय के सांसारिक पिता श्री मोतीलालजी चुन्नीलालजी गुगलिया मातुश्री कमलाबाई का शाल ओढाकर मोहने जैन संघ ने भावभीना स्वागत किया गया। श्री राजेश सी. जैन, उमरावचन्दजी गुन्देचा, शा. तिलोकचन्दजी डी. शाह, कुन्दनंमलजी डी. शाह, मोहनलाल एस जैन आदि एवं कोंकण प्रदेश के प्रत्येक नगर गाँव से पधारे पदाधिकारी इस समारोह में विशेष अतिथि के रुप में कार्यक्रम की शोभा बढा रहे थे। __अंत में श्री मोतीलालजी रांका ने पूज्य मुनिद्वय से सम्बन्धि एक भावभरा गीत प्रस्तुत किया। जिससे सभागण मन्त्र मुग्ध हो गये। पूज्य श्री के मांगलिक श्रवण के साथ ही सभा एक विशाल जुलुस के रुप में परिवर्तित हो गयी। श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ का चित्र, नवकार मंत्र का पट्ट एवं पूज्य दादा गुरुदेव का चित्र लिए विक्टोरिया व खुली जीप चल समारोह में विशेष आकर्षण था। पूना का संगम बेण्ड मधुर ध्वनियों से वातावरण को रोचक बना रहा था। श्री लेखेन्द्रलोकेन्द्र बेण्ड पार्टी विशेष आकर्षण का केन्द्र थी। इस भव्य रथयात्रा में दादा गुरुदेव की जय-जयकार से मोहना नगर गुंजायमान हो गया लेखेन्द्र-लोकेन्द्र आये है, नई रोशनी लाये है। युगवर्ग बारंबार प्रतिध्वनित कर श्रद्धाभाव प्रकट कर रहे थे। ११६ मानवता का विकास न होने पर मानव दानवता, पिशाच्त्व, पशुता और शुद्धता को प्राप्त होता हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012037
Book TitleLekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpashreeji, Tarunprabhashree
PublisherYatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
Publication Year
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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