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________________ यतीन्द्र सूरि स्मारक ग्रन्थ अपनी आत्मा को आश्वासन देते हैं " आवश्यक नियुक्ति में ज्ञान और आचरण के पारस्परिक संबंध का विवेचन अत्यंत विस्तृत रूप से किया गया है। आचार्य भद्रबाहु कहते हैं कि आचरणविहीन अनेक शास्त्रों के ज्ञाता भी संसारसमुद्र से पार नहीं होते। ज्ञान और क्रिया के पारस्परिक संबंध को लोक प्रसिद्ध अंध- पंगु न्याय के आधार पर स्पष्ट करते हुए आचार्य लिखते हैं कि जिस प्रकार एक चक्र से रथ नहीं चलता है या अकेला अंधा अथवा अकेला पंगु इच्छित साध्य को नहीं पहुंचते वैसे ही मात्र ज्ञान अथवा मात्र क्रिया से मुक्ति नहीं होती, अपितु दोनों के सहयोग से ही मुक्ति होती है। जैन दर्शन का यह दृष्टिकोण हमें उपनिषद् और बौद्ध परंपरा में भी प्राप्त होता है बुद्ध कहते हैं 'जो ज्ञान और आचरण दोनों से समन्वित है वही देवताओं और मनुष्यों में श्रेष्ठ है ।' ३४ उद्धरण 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. तत्त्वार्थसूत्र 1/1 उत्तराध्ययनसूत्र 28/2 सुत्तनिपात 28/8 गीता 4/34, 4/39 Psychology and Morals, P. 180 उत्तराध्ययन 28/30 Some problems of jain psychology P. 32 अभिधानराजेन्द्र कोष खंड 5 पृ. 2425 तत्त्वार्थ 1/2, उत्तराध्ययन 28/35 Jain Education International जैन-साधना एवं आचार 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17 18 19. 20. 21 22. 23. सामायिकसूत्र - सम्यक्त्व पाठ जैनधर्म का प्राण पृ. 24 सूत्रकृतांग 1/1/2/23 समयसारटीका 132 देखिये - समयसार 392-407 नियमसार 75-81 तुलनीय संयुक्तनिकाय 34/1/1/1-12 प्रवचनसार 1/7, पंचास्तिकायसार 107 उत्तराध्ययन 28/30 तत्त्वार्थसूत्र 1/1 दर्शनपाहुड 2 29. 30. 31. 32. 33. उत्तराध्ययनसूत्र 28/35 उत्तराध्ययन 23/35 सुत्तनिपात 10/2 सुत्तनिपात 10/6, तुलनीयगीता 4/36 संयुक्तनिकाय 1/1/59 24. संयुक्तनिकाय 4/41/8 25. विसुद्धिभग्ग 4/47 26. भक्तपरिज्ञा 65-66 27. आचारांगनिर्युक्ति 221 28. दशवैकालिक 4/12 उत्तराध्ययन 28/30 समयसारटीका 153 तुलनीय गीता, शांकरभाष्य, अध्याय 5 की पीठिका सूत्रकृतांग 2/1/7 उत्तराध्ययन 6/9-11 आवश्यकनियुक्ति 95-102 तुलनीय - - नृसिंह पुराण 61/9/11 34. मज्झिमनिकाय 2/3/5 scovered go pomeni For Private & Personal Use Only ਗਿੱਧੇ ਅਤੇ www.jainelibrary.org
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
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