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________________ ३१८ ] संस्कृत की शतक-परम्परा कुसुमदेव का स्थितिकाल अनिश्चित है । सम्भवतः वे सतरहवीं शताब्दी में हए, यद्यपि वल्लभदेव ने सुभाषितावली में उनके कुछ पद्य उद्धृत किये हैं। यह काव्यमाला के गुच्छक १४ में प्रकाशित हो चुका है। गुमानि का (४२) उपदेश शतक काव्यमाला के भाग १३ में प्रकाशित हुा । विषय नाम से स्पष्ट है। लेखक का समय ज्ञात नहीं है। कवि नरहरि का (४३) शृङ्गारशतक ११५ अात्म सम्बोधित शृङ्गारिक मुक्तकों का संग्रह है, जो कहीं कहीं अश्लीलता की सीमा तक पहुंच जाते हैं। कवि को अपनी विद्वत्ता तथा कवित्व शक्ति पर बहुत गर्व है। प्रिया-वर्णन के व्याज से नरहरि ने अपनी कविता को कालिदास तथा बाग के काव्य का समकक्षी माना है। श्री कालिदास कविता सुकुमार मूर्त बागस्य वाक्यमिव मे वचनं गृहाण । श्री हर्ष काव्य कुटिलं त्यज मानबन्ध वाणी कवेर्नरहरेरिव सम्प्रसीद ।। अनुप्रास के प्रयोग में नरहरि सचमुच सिद्ध हस्त हैं। सविनयमनुवार वच्मि कृत्वा विचार नरहरि परिहारं मा कृथाः दुःख भारम् । हृदि कुरु नवहारं मुञ्च कोप प्रकार कुरु पुलिन विहारं सुभ्र संभोग सारम् ।। काव्य माला ११ में एक अन्य (४४) शृङ्गारशतक प्रकाशित हुआ, जिसके प्रणेता गोस्वामी जर्नादन भट्ट हैं । पुष्पिका में कवि ने कुछ प्रात्म परिचय दिया है। इति श्री गोस्वामिजगन्निवा सात्मज गोस्वामि जनार्दन भद्र कृतं शृङ्गार शतक सम्पूर्णम् । भट्र जनार्दन ने नारी-सौन्दर्य के कई मनोरम चित्र अंकित किये हैं। उनकी दृष्टि में नारी कामदेव की गतिमती शस्त्रशाला है (प्रायः पञ्चशराभिधक्षिति भुजा शस्त्रस्य शाला निजा) । कामराज दीक्षित के (४५-४७) तीन शृङ्गारिक शतक शृङ्गारकलिका त्रिशती नाम से प्रकाशित हए (काव्य माला १४) । प्रत्येक शतकमें पूरे सौ मुक्तक हैं। पद्य-रचना प्रकारादि तथा मात्रा क्रम से हुई है। प्रारम्भिक पद्यों में कवि ने प्रात्म परिचय दिया है। उसके पिता सामराज स्वयं सफल तथा विख्यात कवि थे। हृदि भावयामि सततं तातं श्रीसामराजमहम् । यत्कृतमक्षरगुम्फ कवयः कण्ठेषु हारमिव दधते ॥१०॥ श्रीसामराज जन्मा तनुते श्रीकामराज कविः । .. मुक्तक काव्यं विदुषां प्रीत्यै शृङ्गार कलिकाख्यम् ॥१५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012033
Book TitleJinvijay Muni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherJinvijayji Samman Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages462
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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