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________________ २४ ] दुर्गा महिषासुरमर्दिनी आदि देव देवियों की संगमरमर की जयपुर के कारीगरों द्वारा निर्मित नयानाभिराम मूर्तियां स्थापित हैं। साथ ही वर्तमान युग के महापुरुष महात्मा गांधी तथा श्री जवाहर लाल नेहरू, स्वाधीन भारत के प्रथम प्रधान मंत्री की मूर्तियां भी प्रतिष्ठित हैं। सर्वदेवायतन मन्दिर में और क्या क्या प्रवृत्तियां आप रखना चाहते हैं ? - हमारे इस प्रश्न पर वे गंभीर हो गये और भाव-विभोर होकर एक गुजराती भजन की कड़ी लहजे के साथ दोहराने लगेटूट्यो म्हारा तंबूरानु तार अधूरो रह्य रे भजन भगवाननु । झाबरमल्ल शर्मा इसके बाद उन्होंने यह भी बताया कि वे अपने जीवन का सिंहावलोकन गद्यपद्य रचना में कर रहे हैं । उसकी भी कई कड़ियां आपने सुनाई - और यह भी बताया कि, अपने विद्वान मित्रों के श्राये हुये पत्रों को छांटकर के मैंने अजमेर के श्री जीतमलजी लूणियां को प्रकाशनार्थं दे दिये हैं । बस के लौटने का समय हो चुका था इसलिए हम लोगों ने उनसे विदा ली। ये श्राश्रम के दरवाजे तक पहुँचाने आये । अवस्था के कारण उनका शरीर दुर्बल और दृष्टि क्षीण हो चुकी है किन्तु उनकी वाणी में वही भोज भरा हुआ है। श्री मुनिजी महाराज कृतकर्मा हैं और उनका समस्त जीवन सरस्वतीजी की प्रखण्ड साधना में लगा रहा है । इस अवस्था में भी हमने उनको कार्यनिरत पाया । वास्तव में वे देवकल्प हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012033
Book TitleJinvijay Muni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherJinvijayji Samman Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages462
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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