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________________ पुत्री मां के बीच समाई । कुसुमाष्टकम् मां पुत्री पर बलि बलि जाई ।। २६ ॥ -साध्वी श्री चारित्र प्रभाजी नर नारी सब मंगल गावें । धन्य धन्य जयकार लगावें ॥ ३० ॥ सम्वत् उन्नीसो त्रानवें फाल्गुण शुक्ल सुमास । दशमी तिथि सौभागिनी, पूर्ण हुई सब आस । जगन्मान्या धन्या प्रशमनपरा पूर्ण सुयशा, महासाध्वी रत्ना विजितमनसा सयमधरा । विधि निषेध आगम अनुसारी। परंमूर्तिः स्फूर्तेः सकल जन शान्ते हितरता, मां पुत्री ने दीक्षा धारी ॥ ३१ ॥ सुयोगैः संयुक्ता कुसुमवति साध्वी विजयताम् ।। प्रथम सती हुई सोहन बाई । संसार में मान्य, धन्य, प्रशम भाव से युक्त पदम कुँवर सती गुरुणी पाई ॥ ३२ ॥ सुन्दर कीर्ति से सम्पन्न महान साध्वियों में रत्न, नाम कैलास कुँवर अति प्यारा। मनोविजय के साथ, संयम धारण करने वाली, जग विश्रुत है मंगल कारा ।। ३३ ।। स्फूर्ति की साक्षात् मूर्ति, सभी लोगों की सुख शांति नजर कवर कुसमवती सोहे। में तत्पर तथा सद्गुणों के सुयोगों से युक्त साध्वी साध्वी रत्न सकल मन मोहे ।। ३४ ॥ कुसुमवतीजी की जय हो। सोहन कुँवर गुरुणी जिन पाई। गुण अनुसार मिली प्रभुताई ॥ ३५ ॥ गणेशाख्यस्तातः जिनमतरता निर्मलमतिः, का मैं अजान नहीं बुद्धि घनेरी। सुयोग्यात्मा माता गृहिगुण युता सोहनवतीः । जिनकी प्रथम कहाई चेरी ।। ३६ ॥ जनु मिर्यस्योदयपुर पुरी सर्व विदिता, द्वितीया शिष्या दिव्यप्रभा जी।। सुयोगैः संयुक्ता कुसुमवति साध्वी विजयताम् ।। तृतीया शिष्या श्री गरिमा जी ॥ ३ ॥ __ गणेश नाम के जिनके पिता हैं जो जैन मत में तत्पर हैं, स्वच्छ बुद्धि हैं, गृहस्थ के गुणों से युक्त नर जीवन जग दुर्लभ जाना। सोहनवती जिनकी माता है, सुविख्यात उदयपुर अति दुर्लभ सद् गुरुणी पाना ॥ ३८ ॥ जिनकी जन्म भूमि है, सद्गुणों से युक्त ऐसी साध्वी जिनके भाग बड़े जग मांहि । जी कुसुमवतीजी की जय हो । कुसुमवती सी गुरुणी पांहि ॥ ३६ ॥ गुरुणी जी की सेवा पाके । जगे भाग चारित्रप्रभा के॥ ४० ॥ तपश्चर्यायुक्ता निखिलमलमुक्ता शुभयुता। सकल सिद्धि दातार है, गुरुणी जी का नाम । महदिव्यैः ज्ञानैः प्रमुदित सुभव्याखिलजना ।। जनान्मार्गध्वस्तानुपदिशति नित्यं हितकरा। श्रद्धा से जो जपेंगे सिद्ध सभी हो काम ।। सुयोगैः संयुक्ता कुसुमवति साध्वी विजयताम् ।। तपस्या में तत्पर, समस्त मलिनताओं से मुक्त, शुभ कार्यों में संयुक्त , अत्यधिक दिव्यज्ञान के प्रभाव प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना 0 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ (SHI N
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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