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________________ की ममेरी बहिन हैं। आपका जन्म नाम कु. स्नेह उत्तर भारतीय प्रवर्तक श्री शान्तिस्वरूप जी लता है। म. सा. के सुशिष्य श्री सुमतिप्रकाश जी म. सा. ___आपने उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. सा. ने आपको कांधला में दिनांक ३० अप्रेल १९८० के को गुरु बनाकर परम विदुषी महासती श्री कुसुम- दीक्षा प्रदान की। वती जी म. सा. के पास वि. स. २०३० कार्तिक आपने उत्तर प्रदेश से इण्टरमोएियट तक शुक्ला त्रयोदशी, दि. ३ नवम्बर १६७३ के दिन अध्ययन किया। फिर निरन्तर परीक्षोत्तीर्ण करते अजमेर में जैन भागवती दीक्षा ग्रहण की। हुए आपने एम. ए. किया और अभी पुनः आप || आपने राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से एम. ए. की परीक्षा की तैयारी कर रही हैं । आपने संस्कृत विषय में एम. ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी व अंग्रेजी में अच्छी योग्यता में उत्तीर्ण की । हिन्दी साहित्य सम्मेलन से साहित्य- प्राप्त की है। आपको जैन सिद्धांतों का भी अच्छा रत्न, राज. वि. वि. से जैन दर्शन शास्त्री तथा अभ्यास है। दिल्ली संस्थान से जैन दर्शन आचार्य उत्तीर्ण की। आपको रुचि काव्य रचना, सुसाहित्य का आचार्य श्री सिद्धर्षि के 'उपमिति भव प्रपच अध्ययन और चित्रकला में विशेष हैं। 'गीतों की कथा' पर शोध प्रबन्ध लिखकर राजस्थान विश्व गरिमा' नाम से आपकी एक पुस्तक प्रकाशित हो विद्यालय, जयपुर से पी-एच० डी० की उपाधि चुकी है। प्राप्त की। आपने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, जम्मू____ आपने रत्नाकर पच्चीसी का हिन्दी अनवाद काश्मीर आदि प्रान्तों में विचरण किया है। किया है और प्रस्तुत अभिनन्दन ग्रंथ का सम्पादन (४) महासती (डॉ.) श्री दर्शनप्रभाजी म.सा.भी आपने ही किया है । साहित्य के प्रति आपकी आपका जन्म दिल्ली निवासी ओसवाल वंशी, लोढा विशेष रुचि है। यही कारण है कि आप सदैव गोत्रीय श्रीमान रतनलाल जी की धर्मपत्नी सौभाअध्ययन, अध्यापन एवं लेखनादि में व्यस्त रहते ग्यवती कमलाबाई की पावन कक्षि से संवत २०१० | हैं । विश्वास है कि आपकी प्रतिभा का लाभ समाज आश्विन शुक्ला त्रयोदशी, दि. २३ अक्टूबर १९५३ को मिलेगा। को हुआ । आपका जन्मनाम सरोजकुमारी है। ____ आपकी दो शिष्याएँ हैं-(१) साध्वी श्री अनु- आपने उपाध्याय श्री पुष्करमुनिजी म. सा. पमाजी म. एवं (२) साध्वी श्री निरुपमा जी म.। को गूरु बनाकर महासती श्री चारित्रप्रभाजी म. दोनों ही सांसारिक रिश्ते में बहिनें हैं। सा. के पास अजमेर जिले के ब्यावर नगर में सं. ____ आपने राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू- २०३२ फाल्गुन कृष्णा पंचमी दिनांक २० फरवरी, काश्मीर आदि में धर्म प्रचार किया है। १९७६ के दिन दीक्षाव्रत अंगीकार किया। आप (३) महासती श्री गरिमा जी म. सा.--आपका महासती श्री कुसुमवतीजी म. सा. की प्रशिष्या हैं । जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ नगर के निवासी श्रीमान आपने हिन्दी साहित्य सम्मेलन से साहित्यरत्न, तालेराम जी उज्ज्वल की धर्मपत्नी सौभाग्यवती वर्धा से राष्ट्रभाषारत्न, अहमदाबाद गुजरात से रमादेवी की पावन कुक्षि से दिनांक १५-४-१९६३ जैन दर्शनाचार्य, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर को हआ। आपका जन्म नाम क. गीता (क. से एम. ए. की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की और त गीतिका) है । आपने महासती श्री कुसुमवती जी "आचार्य हरिभद्र एवं उनके साहित्य" पर शोध म. सा. के उपदेशों से प्रेरित होकर उनका शिष्यत्व प्रबन्ध लिखकर राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर ग्रहण कर दीक्षाव्रत अंगीकार किया। से पी-एच. डी. की उपाधि प्राप्त की। द्वितीय खण्ड : जीवन-दर्शन . साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ , Jafn Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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