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________________ शत-शत वन्दन दिशाएँ परिपूरित हो जाती हैं और कण-कण पावन हो जाता है उनके अवतरण से।। -ऋषभ जैन, अलवर व्यक्ति की महिमा है उसके व्यक्तित्व और कृतित्व से । समाज, देश व जाति पर उसका प्रभाव जीवन कण-कण हुआ सुपावन, नहीं पड़ता किन्तु पड़ता है उसके व्यक्तित्व और ___अणु-अणु में मधु ऋतु छाई।। कृतित्व का । सूर्य गगनमण्डल में गमकता है किन्तु स्वर्ण जयन्ति अवसर पर, उसकी रश्मियाँ किरणे भूतल को प्रकाशित कर कुसुमाकर श्री महिमा गाई।। देती हैं, चमका देती हैं, विराट बना देती हैं उसके दीक्षा स्वर्ण जयन्ती के शुभ अवसर पर अभि- महत्व को, इसी प्रकार सद्गुणों की सौरभ जीवन वन्दन एवं अभिनन्दन की पावन क्षणिकाओं में परम को महतो महीयान बना देती है। विदुषी, बालब्रह्मचारिणी, चारित्र चूड़ामणि, अध्या- सतीवर्या श्री कुसुमवतीजी म. सा० भी ऐसी त्मयोगिनी, आगम अध्येता, प्रवचन भूषण, पूज्य ही उच्चकोटि की सती हैं। आपने अनेक बाधाओं, । सतीवर्या श्री कुसुमवतीजी म. सा. के पावन चरण झंझावतों, कष्टों को सहन कर अपनी आकांक्षाओं, सरोजों में अपनी आकांक्षाओं के अक्षत अपित करने अरमानों, कामनाओं एवं वासनाओं की होली जला का सौभाग्य प्राप्त कर अत्यन्त ही आनन्द हो रहा कर निरपेक्ष भाव से अपनी साधना को अक्षण्ण बनाये रखा है। आपकी साधना-आराधना अनुपम भारतीय आध्यात्मिक साधकों की गौरव-गाथाएँ है, अद्वितीय है। सती श्री के हृदय की निर्मलता, (Golden deeds) एक से एक सुन्दर एवं महत्वपूर्ण मन की विराटता, अन्तःकरण की उदारता, बुद्धि रही हैं। वे सुख में रहे हों या दःख में, फलों की की विवेकशीलता, करुणा की संवेदनशीलता, आनन सेज पर अथवा काँटों की तीक्ष्ण धार पर, उनकी की सरलता इतनी महान है कि शब्दों द्वारा व्यक्त साधना अक्षण्ण एवं अविरल रही है. उनका जीवन नहीं की जा सकती। और इसीलिए आप श्रद्धेय, सारभौम होता है। प्राणी मात्र के प्रति उनके मन में आदरणीय एवं उपास्य बनी हुई हैं जन-जन को। कल्याण कामना रहती है, वाणी सर्वोदय एवं व्यव- आपका निरन्तर स्वाध्याय, श्रावक-श्राविकाओं हार प्रेममय होता है। की शंका का समाधान, शिष्य परिवार का स्नेहभरा संरक्षण और मानव मन को झकझोर देने वाला पाश्चात्य देशों में जिस प्रकार अमेरिका को ओजस्वी प्रवचन अत्यन्त ही प्रभावशाली रहता है। धन का, ब्रिटेन को राजनीति का, फ्रांस को सुन्दर- आपकी साधना एवं आराधना की विशेषताओं 8 तम नगरों का, जापान को देशभक्ति का और जर्मनी से प्रभावित हो उदयपुर श्रीसंघ ने आपको 'अध्या को वैज्ञानिक शक्ति का गर्व है उससे भी अधिक त्मयोगिनो' पद से विभूषित किया। तलस्पर्शी, भारत को गर्व एवं गौरव है अपनी धार्मिक संस्कृति, ओजस्वी भाषणों एवं प्रवचनों की महिमा कुसुम के संत, सती परम्परा एवं आध्यात्मिक विकास का। सौरभ की भांति चहुँ ओर प्रसारित हई देख ब्याबर ऐसे आध्यात्मिक साधकों का जीवन प्रकाश संघ ने आपको 'प्रवचन-भूषण' की उपाधि से अलंकृत स्तम्भ बनकर आलोकित कर देता है जन मन को। किया। अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से चमत्कृत ही नहीं ऐसी प्रतिभाशाली सती श्री के जीवन की प्रारकरते बल्कि युगों-युगों तक महका देते हैं आलोक म्भिक रेखाओं का दिग्दर्शन करने की इच्छा किसे को अपनी सौरभ से। उनकी यशोकीर्ति से सभी न होगी, सदभाग्य से ऐसी सतियों के दर्शन होते हैं ७६ प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना 0 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ 3 Jain Education International For-Divated personaldeo-Only www.jainelibrary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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