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________________ डॉ. परमानन्द मिश्र, रोसड़ा 0 श्रीमती उषा जैन, कांदला 'कुसुम अभिनन्दन ग्रन्थ' प्रकाशन की महती यह मेरा परम सौभाग्य है कि मुझे पूजनीया 2) योजना हेतु आपकी दृढ़तापूर्ण कटिबद्धता का समा प्रतिपल वन्दनीया महासती श्री कुसुमवती जी म० चार हमारे लिए निश्चय ही प्रेरणा और उत्साह के सम्बन्ध में कुछ लिखने का अवसर मिला है। का द्योतक है। एक कहावत चलती है कि 'सूर्य को दीपक दिखाना' परम साध्वी महीयसी कुसुमवतीजी ने भगवान महासती जी के बारे में मेरा लिखना भी कुछ इसी प्रकार का लग रहा है, फिर भी मन की भावना महावीर के सिद्धान्तों को आत्मसात करते हुए उनसे अपने जीवन को ही उदात्त और आदर्श नहीं बनाया को साकार रूप दे हैं। कांदला निवासियों के है अपितु मानवता ने उनसे एक नूतन दृष्टि, नयी पुण्य स्वरूप सन् १९८० में आपके सान्निध्य में आप चेतना, सहज स्फूर्ति तथा श्रेष्ठ जीवन जीने की की दो शिष्याओं का दीक्षा महोत्सव करने का सूउत्कृष्ट कला भी प्राप्त की है। अवसर प्राप्त हुआ । कांदला नगरी उत्तर प्रदेश की अति प्राचीन नगरी है जहाँ बड़े-बड़े आचार्यों के अपने बावन वर्षों की महती जीवन यात्रा में चातुर्मास हुए हैं, धर्म साधना की दृष्टि से भी इस शीर्षस्थ स्थान प्राप्त करते हए अपने मौलिक एवं नगरी का प्रमुख स्थान रहा है। उपादेयता पूर्ण शाश्वत धर्मोपदेश से मानव जीवन के जिन उदात्त मूल्यों को अपने पावन संस्पर्श से श्रद्धया गुरुणो जी म० की कांदला नगरी पर बड़ी कृपा रही है। आपके निकट सम्पर्क में रहकर IED चमत्कृत किया है उसके लिए मानवता उनकी चिर। मैंने पाया कि आपके जीवन में सरलता, नम्रता, ऋणी बनी रहेगी और जैन धर्म के इतिहास में सहजता आदि अनेक गुण हैं, आपकी वाणी में ओज उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित होकर चमत्कृत है, जहाँ-जहाँ पर भी आपके चातुर्मास होते हैं, वहाँ ! बना रहेगा। की समाज में एक नई जागृति, एक नई धर्म की उनका लौकिक-मौलिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान, विविध विषयों पर उनका असाधारण अधिकार लहर पैदा होती है । भगवान महावीर से किसी साधक ने पूछा कि धर्म का निवास स्थान कहाँ है उन्हें महान से महीयसी बनाता है। सुसुप्त मानवीय तो प्रभु ने कहा-- चेतना के इस आस्थाहीन युग में अपनी महर्घ्य । सोही उज्जुयभूयस्स धम्मो सुद्धस्स चिट्ठई ।। कारयित्री प्रतिभा से सम्पन्न उनका उज्ज्वल और ___ जो सरल हृदय का है उसी के जीवन में शुद्ध आदर्श चरित्र वर्तमान का आदर्श ही नहीं भविष्य धर्म का निवास होता है । पूज्या महासती जी के , का मार्गदर्शक भी है। जीवन में सबसे बड़ा गूण सरलता का है। ऐसी महीयसी के उदात्त गुणों से प्रेरणा ग्रहण महासतीजी का उत्कृष्ट जीवन मानव मात्र के ! करने तथा जैन सिद्धान्तों की उपादेय एवं सूक्ष्मे- लिए प्रेरणादायी है। आपके पावन जीवन से प्रेरणा (6) क्षिका दृष्टि से परिचित तथा लाभान्वित होने के पाकर हजारों को मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। मैं व्यक्तित्व से सम्बन्धित अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन । दन ग्रन्थ का प्रकाशन अपनी ओर से, अपने परिवार की ओर से और निश्चय ही श्लाघ्य कर्म है। समस्त कांदला निवासी जनता की ओर से दीक्षा ___ मैं उस प्राणवती महादेवी के प्रति अपनी समस्त स्वर्ण जयन्ती के पावन अवसर पर शतशः नमन | हार्दिक श्रद्धा एवं भक्ति समर्पित करते हुए इस ग्रंथ वन्दन करती हुई यही मंगल कामना करती हूँके प्रकाशन जैसे महत्वपूर्ण सारस्वत अनुष्ठान की हजारों वर्ष जी करके, सभी को पथ-प्रदर्शन दो। निर्विघ्न सफलता हेतु हार्दिक शुभाशंसा ब्यक्त अध्यात्म की दिव्य ज्योति और ज्ञान का अमृत । करता हूँ। वर्षण दो॥6 प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना 06d690 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ Cexib RE J d ucation Internationer For Private & Personal Use Only www.jameriorary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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