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________________ Oरिधकरण बोथरा कि दाना खाक में मिलकर, गुले गुलजार होता है मिटा दे अपनी हस्ती को, गर तु मर्तबा चाहे। कि दाना खाक में मिलकर, गुले गुलजार होता है। यदि आपको कुछ इज्जत, सम्मान चाहिए तो आपको, खुद को अपने कार्य में पूर्ण रूपेण नि:स्वार्थ भाव से समर्पित होना होगा। दाना (बीज) जब जमीन में गिरता है, अपना अस्तित्व खत्म करता है तभी वह बाग गुलजार होता है। इसी संदर्भ में नींव के पत्थर के रूप में एक नाम महत्वपूर्ण है, वह है हमारे इस विद्यालय के संस्थापक सदस्य श्री फूसराजजी बच्छावत का- हम उन्हें नमन करते हैं। अक्सर हमारे विद्यालय के शिक्षकों के मुख से यह सुनने को मिलता है कि इस विद्यालय की इज्जत ही हमारी इज्जत है। इसकी प्रतिष्ठा के लिए हम कुछ भी त्याग एवं उत्सर्ग करने के लिए तैयार हैं। ये मात्र शब्द ही नहीं थे। इस वर्ष भी एक उदाहरण हमें देखने को मिला, विद्यालय के इसी कार्य के लिए हमारे एक शिक्षक ने एक बहुत बड़े पद का तत्क्षण बिना किसी झिझक के त्याग कर दिया। कुछ शिक्षक तो ऐसे हैं जो इस विद्यालय की उन्नति के लिए सर्वतो भावेन समर्पित हैं। हमें नाज है हमारे इन शिक्षकों पर। ___ श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा एक संस्था नहीं है, एक परिवार है। यहां पद का विशेष महत्व नहीं है-- छोटे भाइयों को प्रोत्साहन देकर तैयार किया जाता है कि वे भविष्य में इन गतिविधियों को संभाल कर समाज के नाम को गौरवान्वित करें। सभा व विद्यालय परिवार एकजुट होकर उन्नति की ओर अग्रसर है। इसी का परिणाम है वर्ष भर चलने वाली यह हीरक जयन्ती। ये जयन्तियां हमारे लिए मात्र मनोरंजन का ही कारण नहीं होती हैं वरन् एक नये कार्य के लिए चुनौती व प्रेरणा देती हैं। सभा व विद्यालय परिवार ने इस जयन्ती पर एक ऐसा ही संकल्प इसी भवन में श्री जैन कालेज सायंकालीन सत्र में चलाने का लिया है। परिवार में बुजुर्गों की कार्य प्रणाली उनका चरित्र व स्नेह ही छोटों के लिए कार्य करने का सम्बल होता है। हमारी इसी श्रृंखला में आते हैं हमारे बुजुर्ग श्री सूरजमलजी बच्छावत, कर्मठ कार्यकर्ता श्री सरदारमलजी कांकरिया व निष्पक्ष विचारक श्री रिखबदासजी भंसाली। श्री कांकरिया ने इन चार दशकों से विद्यालय को जिस निष्काम सेवा भावना, समर्पण एवं अथक अध्यवसाय से संभाला है, आने वाली पीढ़ी के लिए वह सदैव प्रेरणा स्रोत बनकर उत्साहवर्द्धन करेगा। सभा व विद्यालय परिवार के लोग कर्त्तव्य निष्ठा व स्नेह से शिक्षा व सेवा के कार्यों में बराबर लगे रहें, यही मेरी जिनेश्वर भगवान से कामना है। -मंत्री, श्री श्वे0 स्था0 जैन सभा, कलकत्ता-1 हीरक जयन्ती स्मारिका विद्यालय खण्ड /७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012029
Book TitleJain Vidyalay Hirak Jayanti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKameshwar Prasad
PublisherJain Vidyalaya Calcutta
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
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